आम बजट से खासी उम्मीदें : भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के लिए मिल सकते हैं 500 करोड़

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इस वर्ष केंद्र सरकार के आम बजट से हिमाचल को खासी उम्मीदें हैं। निर्माणाधीन भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 500 करोड़ का बजट मिलने की संभावना है।

गत वर्ष इस परियोजना के लिए केंद्र से 420 करोड़ रुपये मिले थे। प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि 2024 तक रेल बिलासपुर पहुंचानी है।

सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और बहु प्रतीक्षित रेललाइन बिलासपुर-मनाली-लेह को इस बार भी बजट में जगह मिलना मुश्किल लग रहा है। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) दिसंबर 2022 में तैयार हो गई थी। रेलवे बोर्ड ने इसे रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया था।

डीपीआर के अनुसार परियोजना में पुलों, टनलों, सिविल कार्य, इलेक्ट्रिकल और टेली कम्युनिकेशन, भूमि अधिग्रहण और अन्य कार्यों पर करीब 100 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

परियोजना में हिमाचल और लद्दाख में 1100-1100 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 26 फीसदी वन भूमि भी शामिल है।

परियोजना में भूमि अधिग्रहण पर ही 11.5 हजार करोड़ का खर्च आएगा। इस रेल लाइन में चार खंड होंगे। पहला खंड बैरी से मंडी, दूसरा मंडी से मनाली, तीसरा मनाली से उपशी और चौथा उपशी से लेह तक होगा।

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डीपीआर रक्षा मंत्रालय को सौंपने के बाद इसके बजट के लिए कार्रवाई पूरी होनी थी, लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं किया गया गया।

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी इस परियोजना के महत्व को देखते हुए लोकसभा चुनावों से पहले बजट की घोषणा कर सकते हैं। हिमाचल में सरकार बदलने के बाद अब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भी तलवार लटकी नजर आ रही है।

इस प्रोजेक्ट को जिंदा रखने के लिए पिछले दो बजट से इसके लिए एक-एक हजार की राशि दी गई थी, लेकिन बाद में अनुराग ठाकुर ने इसमें हस्तक्षेप किया और प्रोजेक्ट की लागत कम करने के लिए साल 2022 में इसकी डीपीआर में बदलाव करवाया। इस परियोजना की लंबाई पहले 54 किलोमीटर थी। अब यह 40.7 किलोमीटर है।

लोगों को उम्मीद थी कि डीपीआर बदलने के बाद इस बजट में परियोजना को जगह मिलेगी, लेकिन इस परियोजना में केंद्र के साथ प्रदेश सरकार की भी हिस्सेदारी होनी थी।

10 मार्च 2022 को सरकार के मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर इस परियोजना के लिए 25 फीसदी शेयर देने के लिए हामी भरी थी।

परियोजना का रेट ऑफ रिटर्न 5.09 फीसदी है, लेकिन अब प्रदेश में सरकार बदल गई है। अब प्रदेश सरकार की हां या ना इस परियोजना का भविष्य तय करेगी।

ऊना-हमीरपुर रेललाइन की पिंक बुक कॉस्ट 2850 करोड़ रुपये है, लेकिन डीपीआर के अनुसार इसकी कीमत 5821 करोड़ के लगभग है, जिसे कम कर अब 3687 करोड़ किया गया है।

प्रदेश के उद्यमियों को सरकारी घाटे को कम करने की उम्मीद

औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन को केंद्रीय बजट से नए सरकारी घाटे को कम करने की उम्मीद है। उद्योगपतियों ने कहा महंगाई दर नियंत्रण में रहने के बाद व्यावसायिक ब्याज दरों में कमी होनी चाहिए।

वैश्विक मंदी को ध्यान में रखते हुए सरकारी पैसे का सदुपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजूबत करने में लगना चाहिए। केंद्र सरकार के बल्क ड्रग, मेडिकल डिवाइस पार्क और रेलवे प्रोजेक्ट के लिए और बजट का प्रावधान किया जाए।

बीबीएनआईए के पूर्व अध्यक्ष शैलेष अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय बजट में आईडीसी योजना के तहत मिलने वाली सबसिडी के लिए बजट का प्रावधान होना चाहिए।

बीबीएनआईए के अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि मैन्युफेक्चर सेक्टर के उत्थान के लिए नीति बनाई जाए। रेलवे प्रोजेक्ट को और पैसा दिया जाए।

उन्हें इनकम टैक्स की लिमिट पांच लाख तक करने की मांग की। आयकर स्लैब में भी कमी करने की मांग की। दून भाजपा के उपाध्यक्ष एवं ट्रक आपरेटर कृष्ण कुमार कौशल ने कहा कि केंद्र सरकार ट्रकों पर लगने वाले टोल कम करे। डीजल और पेट्रोल के जीएसटी के दायरे में लाया जाए।

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