क्या है ब्लॉकबस्टर फ़िल्म कांतारा में दिखाई गई सदीयों पुरानी भूत कोला परंपरा

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बड़े पर्दे के बाद नेटफ्लिक्स (Netflix) पर धूम मचाने वाली फ़िल्म “कांतारा” (KANTARA)  केजीएफ चैप्टर 2 (KGF Chapter 2 – 1200 करोड़) के बाद कन्नड़ फ़िल्म इंडस्ट्री की दूसरी सबसे ज़्यादा कमाई(450 करोड़) करने वाली फ़िल्म है। अगर आपने अभी तक यह फ़िल्म नहीं देखी तो यह Netflix पर उपलब्ध है।

इस फ़िल्म में एक ख़ास रस्म कोला करने का कई बार ज़िक्र है। कोला में गाँव के लोग एक ख़ास पर्व भूत कोला का आयोजन करते दिखाई देते हैं। kantara-movie-bhoota-kola-tradition-tulunadu-all-you-need-know

आख़िर फ़िल्म में दिखाया गया कोला क्या है और इसका क्या महत्व हैं? इस पोस्ट में हम कोला या भूत कोला के बारे में और फ़िल्म में दिखाई गई इसकी एक विशेष शैली और इसके महत्व पर चर्चा करेंगे।

भूत कोला या दैव कोला

भूत कोला, जिसे दैव कोला या नेमा भी कहा जाता है, भारत के उत्तरी केरल में तुलु नाडु के हिंदुओं और केरल के कासरगोड ज़िले  के कुछ हिस्सों में प्रचलित एक अनुष्ठानिक नृत्य प्रदर्शन है। यह नृत्य अत्यधिक शैलीबद्ध है और ‘भूतराधना’ या तुलु भाषी आबादी द्वारा पूजे जाने वाले स्थानीय देवताओं की पूजा के हिस्से के रूप में किया जाता है।

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भूत कोला (देवताओं के लिए नृत्य) मूल रूप से गाँव के देवता के मंदिर के पास खुले मैदान में किया जाता है। यह शाम के समय शुरू होता है और जैसे-जैसे शाम बीतती है, यह डांस परफॉर्मेंस एक शानदार अनुभव में बदल जाती है।

माना जाता है कि जो शख्स भूत कोला परफॉर्म करता है यानी नर्तक बनता है, उसके अंदर पंजुरी देवता आते हैं और वह गांव वालों के पारिवारिक मुद्दों और विवादों को सुलझाते हैं। वे अपना निर्देश भी गांव वालों के लिए जारी करते हैं। उनके फ़ैसले को सर्वोपरि माना जाता है और हर किसी को इसका पालन करना होता है।

मलयाली तेय्यम से मिलता जुलता नृत्य

इस अनुष्ठानिक नृत्य प्रदर्शन ने यक्षगान लोक रंगमंच(Yakshagana folk theatre) को प्रभावित किया है। भूत कोला पड़ोसी मलयालम भाषी आबादी के तेय्यम से बहुत मिलता जुलता नृत्य आधारित अनुष्ठान है।

यह अनुष्ठान तुलु नाडु के निवासियों के जीवन का एक हिस्सा है। इस फ़िल्म के लेखक, निर्देशक और मुख्य अभिनेता ऋषभ शेट्टी इसी क्षेत्र से सम्बंध रखते हैं शायद इसीलिए वह इस फ़िल्म में इतना जीवंत अभिनय कर पाए हैं।

दैवों की सूची

तुलु नाडु में कई श्रेणियों के विभिन्न देव हैं जिन्हें यह के निवासी अत्यंत श्रद्धा और सम्मान देते हैं।  यहाँ संक्षेप में तुलु लोगों द्वारा पूजे जाने वाले देवों की सूची है। यह मुख्यतः ५ हैं।

  • कोरगज्जा Koragajja तुलु लोगों द्वारा सबसे अधिक पूजे जाने वाले दैव हैं। किसी भी समस्या में मदद के लिए, खोई हुई चीज़ को वापस पाने के लिए, या किसी काम को समय पर पूरा करने के लिए इनकी प्रार्थना की जाती है।
  • पंजुरली Panjurli, एक जंगली सूअर की आत्मा है जिसकी पूजा फसलों की रक्षा के लिए जंगली सूअरों के खतरे को दूर करने के लिए की जाती है। फ़िल्म कांतारा में लोग इसी देवता की पूजा आराधना करते दिखाए गए हैं।तुलु पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के आनंद उद्यान में एक जंगली सूअर मर गया। युवा सूअर की संतान को देवी पार्वती ने गोद लिया था। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया युवा सूअर उत्पाती होता गया और उसने भगवान शिव के बगीचे में पौधों और पेड़ों को नष्ट करना शुरू कर दिया। इससे भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने उसे मारने का फैसला किया। देवी पार्वती ने शिव से उसे क्षमा करने के लिए कहा। इसलिए उसे मारने के बजाय, भगवान शिव ने सूअर को पृथ्वी पर भेज दिया और उसे पृथ्वी के लोगों की रक्षा करने का काम सौंपा। यह विशेष रूप से एक भूत (दिव्य आत्मा) बन गया जिसे पंजुरली के नाम से जाना जाता है।

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  • बोब्बर्या (Bobbarya) समुद्रों के देवता, जिनकी ज्यादातर मछुआरा वर्ग के लोग पूजा करते हैं।
  • कालकुड़ा और कल्लूर्ती (Kalkuda and Kallurti) दैव हैं जो भाई और बहन हैं। किंवदंती के अनुसार, कालकुड़ा एक महान मूर्तिकार थे जिन्होंने श्रवण बेलगोला निर्माण किया था। इनकी कहानी भी रोचक जो फिर कभी सही।
  • गुलिगा Gulliga देवता का जन्म देवी पार्वती और भगवान शिव के हाथों हुआ और शिव ने इनको भगवान विष्णु की सेवा में भेजा। गुलिग के उत्पात से ग़ुस्साए विष्णु ने गुलिग को पृथ्वी पर निर्वासित कर दिया।
  • कोटि सेनैय्या, कोटि और चेन्नय्या (Kōṭi Cennayya, Koti and Chennayya) जुड़वाँ नायक हैं जिन्हें योद्धा देवता के रूप में पूजा जाता है

कांतारा फ़िल्म में पंजुरली और गुलिगा देवों का ज़िक्र है। पंजुरली देवता राजा को चेतावनी देता है कि यदि राजा का परिवार या उसके उतराधिकारी अपने वादे से मुकरे और जमीन पर अपना दावा किया तो इससे उसके साथी (पंजुरली के साथी), क्रूर गुलिगा दैव का क्रोध भड़क उठेगा।

जैसा कि मैंने ऊपर बताया इस फ़िल्म में पंजुरली देव की आराधना कर पर्व कोला दिखाया गया है। भूत कोला या दैव नेमा अनुष्ठान में संगीत, नृत्य, गायन और विस्तारित वेशभूषा (Elaborated Costume) शामिल होती है।

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अनुष्ठान में, जहां (स्थान पर) देव वास करते हैं वहाँ उनके समक्ष नृत्य करते हुए उनका गुणगान किया जाता है।

अनुष्ठान में प्राचीन तुलु भाषा में देवता की उत्पत्ति का वर्णन किया जाता हैं और तब से लेकर देव की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया जाता है। इस रस्म को पाददान (pāḍdanas) कहा जाता है।

वैसे भूत कोला के अलावा देव पूजा की अन्य मुख्य पद्धतियाँ हैं बंदी Bandi, नेमा Nema और अगेलु तम्बिला (Agelu tambila)।

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