अडानी समूह के खिलाफ बरमाणा के ट्रक आपरेटरों ने लिया सामूहिक निर्णय,आज से बिलासपुर की सीमाएं बंद

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एसीसी सीमेंट फैक्टरी बरमाणा की तालाबंदी को 64 दिन बीतने के बाद भी मसले का कोई निष्कर्ष न निकलने के चलते अब ट्रक आपरेटरों के सब्र का बांध टूट गया है।

सभी ने एकमत होकर निर्णय लिया है कि शुक्रवार से बिलासपुर जिला की सीमाएं सील कर दी जाएंगी, जिसके तहत सीमेंट लेकर कोई भी ट्रक बाहरी राज्यों से प्रदेश की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकेगा।

इस संदर्भ में बीडीटीएस ने उपायुक्त को भी लिखित रूप से सूचित कर दिया है। साथ ही फैक्टरी की तालाबंदी जल्द से जल्द खुलवाने का आग्रह किया है। यह निर्णय गुरुवार को बरमाणा में बैठक में लिया गया है।

बीडीटीएस प्रधान राकेश ठाकुर रॉकी द्वारा उपायुक्त को सौंपे गए लिखित पत्र में कहा गया है कि अडानी समूह और ट्रक ऑपरेटरों के मध्य पिछले 64 दिनों से गतिरोध चल रहा है, लेकिन अडानी समूह के साथ राज्य सरकार की मध्यस्थता में कई वार्ताएं होने पर भी नतीजा नहीं निकल पाया।

अडाणी समूह अपनी हठधर्मिता छोड़ नहीं रहा, जिसके चलते ट्रक आपरेटरों को हर दिन भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। फैक्टरी में ढुलाई कार्य से जुड़े ट्रक आपरेटरों के समक्ष रोजी रोटी का संकट बना हुआ है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि 14 दिसंबर, 2022 से अडानी ग्रुप द्वारा एसीसी सीमेंट कंपनी को बंद कर दिया गया है। आज 64 दिन धरना-प्रदर्शन करते हुए हो गए है, मगर अभी तक हमारी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

इसलिए सभी ट्रांसपोर्टर्स साथियों ने यह निर्णय लिया है कि शुक्रवार से बिलासपुर जिला की सभी सीमाएं सील कर देंगे, जिसमें कोई भी ट्रक किसी भी प्रकार का सामान बिलासपुर जिला में नहीं लेकर आएगा।

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उपायुक्त से आग्रह भी किया गया है कि जल्द से जल्द इस तालाबंदी को खुलवाएं, ताकि ट्रक आपरेटरों के समक्ष चल रहा संकट खत्म हो सके।

बीडीटीएस के प्रधान राकेश ठाकुर रॉकी के अनुसार शिमला में सीएम की मध्यस्थता में अडानी समूह के साथ हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला।

हालांकि सरकार आपरेटरों के पक्ष में है और लगातार वार्ताएं कर मसले को हल करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अडानी समूह अपना अडिय़ल रवैया अपनाए हुए है।

यही नहीं, अल्ट्राटेक कंपनी द्वारा हाल ही में ढुलाई रेट बढ़ाकर 10.71 रुपए किया गया है। जब अल्ट्राटेक कंपनी ढुलाई रेट बढ़ा रही है, तो फिर एसीसी व अंबुजा क्यों नहीं। ऐसे हालात में आपरेटरों के समक्ष बड़ी निर्णायक लड़ाई लडऩे के सिवा कोई चारा नहीं रह गया है।

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