रानीताल से बिलासपुर रेललाइन बिछाने के लिए सर्वे के आदेश हुए हैं। चीफ ऑपरेशन मैनेजर सर्वे उत्तर रेलवे ने जिला प्रशासन से तत्काल रिपोर्ट मांगी है।
रानीताल से बिलासपुर तक 100 किलोमीटर रेललाइन बिछाने के लिए यह सर्वे होना है। इसके क्षेत्र में आने वाले निचले अधिकारियों से जिला प्रशासन ने रिपोर्ट तलब की है ।
इस रेललाइन के 100 किलोमीटर के दायरे में 12 स्टेशन होंगे, जिसमें रानीताल, बालूग्लोआ, ज्वालाजी, नादौन, जटियाला, हारखालसा, हमीरपुर, भोटा जारी, बभेली, पनोल व बिलासपुर स्टेशन होंगे।
रेलवे को प्राथमिकता के आधार पर यह रिपोर्ट देनी है। इस सर्वे रिपोर्ट में यह खुलासा किया जाना है कि इस 100 किलोमीटर के दायरे में कितने ऐतिहासिक स्थल हैं और कितने शहर इस रास्ते के भीतर आते हैं ।
इस इलाके में कितनी आबादी है और कितनी यातायात की संभावनाएं हैं। कितने लोग रोजाना इस रूट पर सफर करते हैं और संभावित यात्रियों की संख्या भी बतानी होगी।
कृषि पैदावार और खेती भूमि कितनी है, यह भी बताना होगा। मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन इस कार्य में जुट गया है।
लोगों का कहना है कि रानीताल से बिलासपुर रेललाइन से न केवल हिमाचल के नागरिकों को लाभ होगा, बल्कि यहां आने वाले मां के श्रद्धालुओं को भी फायदा मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि कांगड़ा देवी और मां ज्वालाजी शक्तिपीठों पर आने वाले श्रद्धालु उत्तरी भारत से यहां पहुंचते हैं।
अब रानीताल स्टेशन बड़ी रेललाइन से जुड़ा, तो यह दिल्ली व अन्य राज्यों से आने वाले मां के भक्तों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि फोरलेन बनने के बाद रानीताल से कांगड़ा की दूरी महज 12 किलोमीटर तक सिमट कर रह जाएगी और ज्वालाजी पहुंचने के लिए मां के भक्तों को रानीताल रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा।
दीगर है पठानकोट से जोगिंदरनगर रेल लाइन को ब्रॉडगेज करने के लिए पूर्व में पैरवी होती रही है। अगर रानीताल-बिलासपुर रेललाइन ब्रॉडगेज से जुड़ती है, तो न केवल श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिलेगा, बल्कि कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस 100 किलो मीटर की जद में आने वाले नगरों, गांव व ऐतिहासिक स्थलों का सर्वे शुरू हो गया है। समझा जाता है कि रेलवे अथॉरिटी इस मसले पर गंभीर है और तत्काल रिपोर्ट तलब की है।
रेलवे विभाग ने जो खाका तैयार किया है, अगर उसपर कार्य हुआ, तो हिमाचल की तकदीर बदलेगी यात्रियों की संख्या में इजाफा होगा तथा कारोबार बढ़ेगा।