चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा: अब लकड़ी के जलने से नहीं होगा प्रदूषण, बीमारियों से भी मिलेगी निजात

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मल्टीपरपज चूल्हा: हमीरपुर जिले में इन दिनों इंस्पायर मानक अवॉर्ड राज्यस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में 63 नन्हे वैज्ञानिक अपने-अपने अनूठे मॉडल पेश कर रहे हैं।

इन्हीं नन्हे वैज्ञानिकों के बीच बद्दी के एक निजी स्कूल के छात्र वंश राणा भी अपना मॉडल लेकर पहुंचे हैं. उन्होंने एक चलता फिरता मल्टीपरपज चूल्हा बनाया है. महज 8 से 10 किलो के इस लकड़ी से जलने वाले चूल्हे को कहीं भी ले जाया जा सकता है. यह चूल्हा पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीमारियों से भी निजात दिलाएगा.

हिमाचल के सोलन जिले के बद्दी के एक निजी स्कूल के छात्र वंश राणा ने लकड़ी से जलने वाला अनूठा चूल्हा तैयार किया है। यह चूल्हा पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीमारियों से भी निजात दिलाएगा।

वंश राणा ने लकड़ी के इस अनूठे चूल्हे को मल्टीपर्पज चूल्हे का नाम दिया है। सातवीं कक्षा में पढऩे वाले वंश ने इंस्पायर अवॉर्ड मानक की हमीरपुर जिला में चल रही राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया है।

चूल्हे में एग्जॉस्ट फैन के जरिये शत प्रतिशत आग के धुएं को चिमनी के भीतर धकेलेगा। चिमनी के भीतर यह एग्जॉस्ट फैन लगाया गया है। इस चिमनी में ही स्टील के दो जालीनुमा टीन की छननी लगाई गई है।

इन दो चिमनी के बीच एक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया है, जो कि पाइप के जरिए धुएं के अनबर्न यानि आग जलने के बाद उडऩे वाले बारीक कणों को चिमनी से बाहर नहीं निकलने देगा। ऐसे में वायु प्रदूषण की बड़ी वजह बनने वाले यहां बारीक कण वायु में नहीं मिलेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

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