फोरलेन अपडेट: बाढ़ को फोरलेन-परियोजनाएं जिम्मेदार, पढ़ें पूरी खबर

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण, फोरलेन प्रभावितों व मनरेगा मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठनों ने प्रदेश में आई विनाशकारी बाढ़ के लिए फोरलेन निर्माण कंपनियों, एनएचएआई और प्रदेश की जलविद्युत परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहराया है।

मंडी में हिमालय नीति अभियान के गुमान सिंह ठाकुर, भूमि अधिग्रहण प्रभावित समिति से बीआर कौंडल व फोरलेन प्रभावित मंच के जोगिंद्र वालिया ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद भी किसी तरह का खेद नहीं जताया।

जबकि इस तबाही के लिए फोरलेन निमार्ण कंपनियां जिम्मेदार हैं, जिन्होंने फोरलेन का मलबा डंपिंग साइट के बजाय ब्यास नदी में फेंका है, जो इस प्रलयकारी बाढ़ का सबसे बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा जल विद्युत परियोजनाएं जिम्मेदार हैं।

Fourlane Update Fourlane-projects responsible for floods

जिन्होंने रन आफ द रिवर बने बांधों के गेट खोल कर इस तबाही को अंजाम दिया। गुमान सिंह ने कहा कि फोरलेन का अवैज्ञानिक निर्माण इस तबाही का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि हिमालय सबसे नाजुक पहाड़ है।

यहां पर मैदानी इलाकों की तर्ज पर निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मनाली अटल टनल के मलबे से लेकर फोरलेन निर्माण में लगी कंपनियों ने मनाली से पंडोह तक सारा मलबा ब्यास नदी में फेंक दिया।

इसके अलावा पार्वती और ब्यास नदियों पर हाइडल प्रोजेक्टस की ओर से बाढ़ की स्थिति में बांधों के गेट खोल दिए, जिससे यह तबाही हुई। उन्होंने कहा कि इस आपदा में योगदान देने वाले और इसे बढ़ाने वाले विभिन्न कारकों की एक विस्तृत व्यापक बहु-विषयक और भागीदारी समीक्षा हो।

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