हिमाचल में अटल टनल के बाद दूसरी सबसे आकर्षक टनल कांगड़ा और चंबा के बीच बनेगी। केंद्र सरकार सहमति देती है, तो इस टनल पर आगामी वित्तीय वर्ष में योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू हो जाएगा।
टनल को डबललेन बनाने का प्रस्ताव है। करीब तीन दशक तक प्रदेश की राजनीति में सुर्खियां बटोरती रही होली-उतराला सुरंग पर चर्चा फिर सुलग उठी है।
इस बार लोक निर्माण विभाग के नेशनल हाई-वे विंग ने बड़ा प्लान तैयार किया है। इस प्लान को केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भेजा जा रहा है।
दरअसल लोक निर्माण विभाग ने केंद्र सरकार को जो नेशनल हाई-वे बनाने का प्रस्ताव दिया है, उसमें बर्फबारी के दौरान मार्ग के बंद होने की संभावना जागृत की गई है।
चंबा के होली और कांगड़ा के उतराला के बीच भारी बर्फबारी की संभावना को देखते हुए अब लोक निर्माण विभाग ने टनल बनाने की सलाह दी है, ताकि इस मार्ग पर आवाजाही साल के 12 महीने हो सके।
लोक निर्माण विभाग ने सुरेही पास में टनल का प्रस्ताव दिया है। यह टनल जालसू जोत के ठीक नीचे प्रस्तावित है। इस टनल के बनने से भरमौर से फल और सब्जियों को बाहरी राज्य तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
निचले इलाकों से चंबा का रुख करने वालों को करीब 100 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा। पूर्व सरकार ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें टनल को शामिल नहीं किया गया है। इस प्रस्ताव को वन विभाग ने एनओसी भी दे दी है।
दरअसल, इस मार्ग को नाबार्ड में शामिल कर लिया जाता है तो महज 10 फीसदी की लागत से कांगड़ा और चंबा के बीच यह सबसे अहम मार्ग बनकर तैयार हो जाएगा। शुरुआत में 50 करोड़ तक अनुमानित खर्च की बात इस मार्ग में कही जा रही है।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि जालसू जोत पर भारी बर्फबारी होती है और इस सडक़ को पहाड़ के रास्ते बना लेते हैं, तो भी सर्दियों में आवाजाही मुश्किल होगी।
ऐसे में केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजने के लिए जो रिपोर्ट बनाई गई है उसमें सुरंग का भी प्रावधान रखा गया है, ताकि कांगड़ा और चंबा के बीच साल के 12 महीने आवाजाही संभव हो सके। यह फिलहाल, प्रस्ताव है और इस पर अभी केंद्र सरकार को अपनी राय देनी है।
पूरी होगी कांगड़ा के पर्यटन केंद्र की बात
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांगड़ा को पर्यटन हब बनाने की बात कई मौके पर बोल चुके हैं। यहां धार्मिक और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी राज्य सरकार कर रही है।
इस कड़ी में कांगड़ा के बैजनाथ और चंबा के होली के बीच प्रस्तावित टनल अहम कड़ी साबित हो सकती है। यदि यह टनल बनती है तो समूचे उत्तर भारत से मणिमहेश यात्रा पर जाने वालों को दो दिन का समय कम लगेगा।