हिमाचल प्रदेश में पहली बार केमिकल-सीमेंट मिश्रित बनेंगी सड़कें, तारकोल भी बिछेगा

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शिमला : हिमाचल प्रदेश में पहली बार सड़कों का निर्माण फुल डेप्थ रेक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से होगा। इसमें 10 साल पुरानी सड़कों को उखाड़कर इनमें पहले से इस्तेमाल गटका निकालकर उसे मशीन के साथ रिसाइकिल किया जाएगा।

उसी गटके की जर्मन की मशीन से पिसाई होगी। केमिकल और सीमेंट मिलाने के साथ उसे दोबारा सड़क पर बिछाया जाएगा। इसके बाद तारकोल बिछेगा।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) में बनी सड़कों की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस तकनीक को इस्तेमाल करने के निर्देश दिए।

इस तकनीक को इस्तेमाल करने वाला हिमाचल प्रदेश चौथा राज्य होगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश, बिहार व असम में यह तकनीक उपयोग की जा रही है।

first time Himachal Pradesh roads will be made chemical-cement mixture

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने सीएम के समक्ष इस तकनीक की प्रस्तुति भी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआती चरण में इसका इस्तेमाल पीएमजीएसवाई के विभिन्न जिलों की 666 किमी सड़कों पर किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक से सड़कें ज्यादा टिकाऊ बनती हैं। साथ ही इसकी लागत भी कम है और यह तकनीक पारीस्थितिकी के अनुकूल भी है। सुक्खू ने कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क मजबूत करने पर ध्यान दे रही है।

आने वाले समय में 2,682 किमी सड़कें बनेंगी, जिनमें 666 किमी एफडीआर तकनीक, 556 किमी सीमेंट स्टेबलाइजेशन व 1,460 किमी सड़कों का निर्माण परंपरागत तरीके से होगा। इन पर 2,683 करोड़ खर्च होगा।

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