शिमला : 2,500 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरेंसी घोटाले को समाजसेवा की आड़ में अंजाम दिया गया। एसआईटी की जांच में इस सिलसिले में बड़ा खुलासा हुआ है।
मुख्य आरोपी हेमराज, सुभाष, सुखदेव और अभिषेक ने हिम जनसेवा फाउंडेशन बनाई थी। फाउंडेशन का बाकायदा चालू बैंक खाता भी खोला गया।
इसके जरिये हर माह करोड़ों रुपये के लेनदेन समाजसेवा की आड़ में किए गए। प्रदेश के हजारों निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर मल्टी लेवल मार्केटिंग से चूना लगाकर आरोपियों ने फाउंडेशन के चालू बैंक खाते से पैसे के लेनदेन किए।
तभी यह आयकर विभाग की नजर से बचते रहे। डीजीपी संजय कुंडू भी करोड़ों रुपये के लेनदेन के आयकर विभाग की नजर में न आने पर हैरानी जता चुके हैं, हालांकि यह माना जा रहा है कि मुख्य आरोपियों ने विभिन्न गैरकानूनी तरीकों से करोड़ों रुपये का लेनदेन कर लोगों को ठगा है।
एसआईटी की प्रारंभिक जांच में अधिकतर लेनदेन कैश में पाए गए हैं। फाउंडेशन के चालू बैंक खाते से भी पिछले तीन से चार वर्ष के भीतर हर माह करोड़ों रुपये के लेनदेन जांच में पाए गए हैं। घोटाले में पुलिस ने टेरर फंडिंग की संभावनाओं को भी नहीं नकारा है।
साल 2019 में बनाई फांउडेशन, गो-सदन बनाने की थी तैयारी
साल 2019 में क्रिप्टोकरेंसी घोटाले के आरोपियों ने हिम जनसेवा फाउंडेशन को मंडी में पंजीकृत करवाया। फाउंडेशन के पंजीकरण के समय संस्थापक सदस्यों ने 51-51 हजार रुपये अपनी तरफ से चालू बैंक खाते में डाले।
फाउंडेशन के गठन का खूब प्रचार किया गया था ताकि समाजसेवा के नाम पर निवेशकों का विश्वास जीता जा सके। मुख्य आरोपियों ने बड़े-बड़े होटलों में सेमिनार करवा समाजसेवा और परोपकार का झांसा देकर सैकड़ों लोगों को फाउंडेशन से जोड़ा और सदस्य बनाने की एवज में 11-11 हजार रुपये भी लिए। यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने गो सदन बनाने के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी।
एसआईटी प्रमुख ने ये कहा
एसआईटी के प्रमुख डीआईजी अभिषेक दुल्लर का कहना है कि आरोपियों ने हिम जनसेवा फाउंडेशन बनाई है। इस फाउंडेशन के चालू बैंक खाते से करोड़ों रुपये के लेनदेन हर माह हुए हैं।
समाजसेवा और गो सेवा के नाम पर मुख्य आरोपियों ने लोगों का विश्वास जीता और इसकी आड़ में करोड़ों रुपये निवेश करला लिए। मामले में फाउंडेशन के तमाम रिकाॅर्ड को खंगाला गया है।