हिमाचल भर के डिपुओं में सस्ता राशन ले रहे अंत्योदय, बीपीएल और पीएचएच के पांच लाख 71 हजार राशन कार्ड धारक नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (एनएफएसए) की श्रेणी से बाहर हो जाएंगे।
दरअसल केंद्र सरकार की ओर से एनफएसए की श्रेणी में चयन के लिए जो मानदंड तय किए गए हैं, उनमें वही लोग सस्ते राशन के हकदार होंगे, जो वास्तव में डिजर्ब करते हैं।
केंद्र की ओर से प्रदेश के इन राशन कार्डों की आई डिटेल का आजकल पंचायत संचिवों द्वारा मिलान कार्य चला हुआ है। बता दें कि प्रदेश में कुल साढ़े 19 लाख के करीब राशन कार्ड धारक हैं।
इनमें से साढ़े सात लाख के करीब एनएफएसए की श्रेणी में आते हैं, इनमें से पांच लाख 71 हजार राशन कार्ड धारक भी अब एपीएल की श्रेणी में आ जाएंगे।
केंद्र सरकार के इस फरमान से इन 5.71 लाख राशन कार्ड धारकों को, तो झटका लगा ही है, साथ ही 5200 डिपो संचालकों की परेशानी भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। दरअसल एनएफएसए के इन कार्ड धारकों के बाहर होते ही डिपो संचालकों के कमीशन में भी भारी कटौती हो जाएगी।
दरअसल, एनएफएसए के राशन पर डिपो धारकों को 143 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन मिल रहा था, जबकि एपीएल व एपीएलटी के राशन कार्डों पर उन्हें मात्र चार प्रतिशत कमीशन मिलता है।
पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहे इन डिपो धारकों की मुसीबत और गहरा जाएगी। बता दें कि डिपो संचालक पिछले कई वर्षों से प्रदेश सरकारों से उनके लिए प्रतिमाह 20 हजार मासिक वेतन की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से पूर्व हमीरपुर के टाउन हाल में हुए प्रदेशस्तर के एक बड़े आयोजन में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने वादा किया था कि यदि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनेगी, तो सभी डिपो धारकों की मांगें पूरी होंगी, लेकिन तीन साल में भी इस दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया गया।
बता दें कि बहुत से डिपो धारकों ने दुकानें किराए पर ले रखी हैं। बिजली बिल समेत तमाम खर्चे वे खुद उठाते हैं। अब केंद्र सरकार का यह फरमान उनकी मुश्किलें और बढ़ाएगा।
एनएफएसए के 85 फीसदी कार्ड की श्रेणी बदलेगी
डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि के अनुसार केंद्र ने एनएफएसए की श्रेणी में चयन के लिए जो नए मानदंड अपनाए हैं, उनके चलते प्रदेश के इस श्रेणी के करीब 85 फीसदी राशन कार्डों की श्रेणी बदल जाएगी।
इससे निजी डिपो धारकों व सहकारी सभाओं के कमीशन में भारी कटौती होगी और निजी डिपो धारकों व सहकारी सभाओं को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। सरकार को चुनावों से पहले किए गए वादे पूरे करने चाहिए।




























