शिमला शहर में थमे निजी बसों के पहिये, यात्री परेशान, विद्यार्थी-कर्मचारी पैदल पहुंचे

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लोकल रूटों पर निजी बसें के पहिये आज थम गए हैं। प्रदेश सरकार और परिवहन विभाग की ओर से मांगें न मानने पर निजी बस चालक-परिचालक यूनियन एक दिवसीय हड़ताल पर है।

ऐसे में सुबह से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। विशेषकर कर्मचारियों, विद्यार्थियों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ी हैं। लोग पैदल ही अपने गंतव्य तक पहुंचे।

शहर के अलग-अगल बस स्टैंड में बसों के लिए यात्रियों की भीड़ लगी रही। एचआरटीसी बसों की संख्या सीमित है, लेकिन इनमें भी भारी रश रहा।

शहर में लोकल रूटों पर करीब 120 निजी बसें हड़ताल पर हैं। निजी बस चालक-परिचालक यूनियन के अध्यक्ष रूपलाल ठाकुर और महासचिव अखिल गुप्ता ने बताया कि एक साल से यूनियन प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगें उठा रही हैं लेकिन सरकार गंभीर नहीं है।

11 जुलाई को यूनियन ने सांकेतिक हड़ताल का एलान किया था लेकिन आरटीओ शिमला के आश्वासन के बाद हड़ताल टाल दी। आरटीओ के आश्वासन के बावजूद कोई राहत नहीं मिली।

5 अगस्त को यूनियन ने डीसी शिमला को मांगों को लेकर ज्ञापन और हड़ताल का नोटिस दिया था बावजूद इसके गंभीरता से नहीं लिया। सरकार और प्रशासन की बेरुखी से आहत यूनियन ने 16 अगस्त को एक दिवसीय हड़ताल का निर्णय लिया है।

सितंबर में होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

एक दिवसीय हड़ताल के बाद भी अगर सरकार मांगें नहीं मानती तो सितंबर में प्रदेश स्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। अगस्त के आखिर में होने वाली यूनियन की प्रदेश स्तरीय आम सभा में हड़ताल की रूपरेखा तय होगी।

यह हैं यूनियन की मांगें

  • एचआरटीसी चालक-परिचालक भर्ती में निजी बसों के अनुभवी स्टाफ को 50 फीसदी कोटा दं
  • परिवहन विभाग की ओर से आई कार्ड दिए जाए
  • मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाई जाए
  • बस स्टैंड में रेस्ट रूम की सुविधा दी जाए
  • निजी बसों को बस स्टैंड में काउंटर टाइम दिए जाएं

बस ऑपरेटर यूनियन ने भी किया समर्थन

निजी बस चालक-परिचालक यूनियन की हड़ताल का बस ऑपरेटर यूनियन ने भी समर्थन किया है। यूनियन के महासचिव सुनील चौहान और उपाध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने कहा कि चालक-परिचालक यूनियन की सभी मांगें जायज हैं।

यूनियन ने जिला प्रशासन और बस ऑपरेटर यूनियन को अग्रिम नोटिस देकर सूचना दी है। बसें न चलने से शहर के लोगों को होने वाली असुविधा के लिए खेद जताते हैं।

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