भगवान शिव का शीतकालीन प्रवास स्थल है यह तीर्थ स्थल, दिन में बदलता है सात रंग

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जिला किन्नौर के पवारी गांव की पहाड़ी पर लगभग 19,850 फुट पर स्थित प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष सावन माह में चलाई जाने वाली किन्नर कैलाश यात्रा इस वर्ष प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 से 26 अगस्त तक चलाई जा रही है।

दिन में सात बार रंग बदलता है किन्नर कैलाश

प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के हर वर्ष देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु जिला किन्नौर पहुंचते हैं। किन्नर कैलाश जहां आस्थावान हिंदुओं के लिए हिमालय पर होने वाले अनेक हिन्दू तीर्थों में से एक है, वहीं श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षक एवं चुनौतीपूर्ण ट्रैकिंग भी है।

यह यात्रा तांगलिंग गांव से शुरू होती है तथा लगभग 15 किलोमीटर चुनौती पूर्ण खड़ी चढ़ाई वाले रास्ते का सफर तय करके पूरी होती है।

लगभग दो दिन में तय होती है 15 किलोमीटर की यह यात्रा
किन्नर कैलाश की यात्रा को पूरा करने के लिए कम से कम दो दिन का समय लगता है। यात्रा से पहले यात्रियों का पंजीकरण किया जाता है।

उसके बाद यात्री गणेश पार्क नामक स्थान पर रुक कर विश्राम करने के बाद पार्वती कुंड पहुंचते हैं तथा पार्वती कुंड में पूजा अर्चना करने के बाद प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कर पूजा अर्चना के साथ अपनी-अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

दिन में सात बार रंग बदलता है किन्नर कैलाश
किन्नर कैलाश में असीम शक्तियां हैं तथा कहा जाता है कि किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जबकि इसके आस-पास मौजूद पहाड़ियों का रंग एक जैसा ही रहता है।

इतना ही नहीं शिवलिंग का रंग भी बार-बार बदलता रहता है, जिसे किन्नौर ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों ने भी अपनी आंखों से देखा है।

भगवान शिव के इस कैलाश में अंधेरा होने के बाद कई बार किन्नर कैलाश में मौजूद शिवलिंग के ऊपरी तरफ चमकते सितारों को उतरते हुए भी लोगों ने देखा है।

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