665 बसों के साथ शुरू हुए सफर में आज 3400 गाडिय़ां, हर महीने 60 से 80 करोड़ तक कमाई

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शिमला: हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम अपनी स्थापना के 50वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। सोमवार को हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने अपनी स्थापना की गोल्डन जुबली मनाई।

खट्टी-मीठी यादों के साथ दो अक्तूबर, 1974 को हिमाचल गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट की जगह हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम का गठन किया गया था।

जानकारी के मुताबिक पहले एचआरटीसी का नाम एचजीटी यानी हिमाचल गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट हुआ करता था। इस दौरान हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम फंक्शनिंग में आया था, उस दौरान उनके बेड़े में 665 बसें थीं और ये सभी बसें टाटा कंपनी की हुआ करती थीं।

आज एचआरटीसी के बेड़े में 3400 लग्जरी, सुपर लग्जरी तथा सामान्य बसें है और आज हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें छोटे और बड़े कुल मिलाकर 2900 रूटों पर लगातार दौड़ रही है।

आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि सरकारी बसों में 27 ऐसी कैटागरी है, जिन्हें मुफ्त यात्रा अथवा यात्रा में कुछ छूट दी जाती है। पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक के सभी बच्चों को बिल्कुल फ्री रखा गया है।

Road Transport Corporation

पुलिस को भी फ्री ट्रैवलिंग की सुविधा है, तो वहीं नौकरीपेशा महिलाओं को सिर्फ 15 दिन का ही किराया देना है, बाकी 15 दिन मुफ्त रखे गए है। कालेज, आईटीआई व मेडिकल कालेज आदि संस्थाओं के बच्चों के लिए केवल पांच दिन का किराया ही महीने में रखा गया है, बाकी दिन नि:शुल्क यात्रा सुविधा रखी गई है।

इस प्रकार कुल 27 ऐसी कैटेगरी हैं, जिनको विशेष छूट अथवा फ्री रखा गया है। बावजूद इसके अथक मेहनत और खून पसीना बहाते हुए एचआरटीसी 60 से 80 करोड़ रुपए प्रति महीना की इनकम भी कर रही है। -एचडीएम

इलेक्ट्रिक बसों की बढ़ेगी संख्या

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि प्रदूषण मुक्त परिवहन के तहत निगम के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों को अधिक से अधिक संख्या में शामिल किया जाएगा।

उनका मानना है कि जिस दिन गोल्डन जुबली मनाई जाएगी उसी दिन पूरे देश के सरकारी परिवहन में हिमाचल प्रदेश का एचआरटीसी रोल मॉडल साबित होगा।

सैलानियों की पहली पसंद एचआरटीसी

एचआरटीसी का चालक और परिचालक भारी तनाव और दबाव के बावजूद हंसते हुए अतिथि देवो भव: परंपरा का निर्वहन करता है। इस निगम में कुल 12 हजार कर्मी लगातार अपनी सेवाएं दे रहे है, जबकि सात हजार के आसपास पेंशनर्स भी है।

एचआरटीसी के चालक और परिचालक ने निगम को कमाऊ पूत बना रखा है। यही बड़ी वजह है कि सुरक्षित और सुखद यात्रा के चलते हिमाचल में आने वाला पर्यटक एचआरटीसी की बस में सफर कर गर्व महसूस करता है।

अब टाटा-अशोका लेलैंड की बसें

बेडफोर्ड अमरीका बस के बाद हिमाचल प्रदेश की सडक़ों पर टाटा और लेलैंड का कब्जा होता चला गया। आज एचआरटीसी की बसें दिल्ली, जयपुर, टनकपुर, चंडीगढ़, देहरादून, पंजाब, अमृतसर के साथ-साथ हिमाचल में स्पीति काजा 24/7 अपनी सेवाएं दे रही है। 1974 में जहां प्रदेश में गिने चुने ही बस अड्डे थे, वहीं आज पूरे प्रदेश में 60 से अधिक बढिय़ा और आधुनिक बस अड्डे बनाए गए हैं।

 

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