अब प्रधानमंत्री करेंगे बिजली महादेव रोपवे का फैसला

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कुल्लू घाटी के प्राचीन आस्था केंद्र बिजली महादेव से जुड़ा प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट अब सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के टेबल तक जा पहुंचा है।

परियोजना को लेकर बिजली महादेव विरोध संघर्ष समिति व अन्य लोगों के विरोध के बाद और फिर हाल ही में 31 अक्तूबर को जगती में बिजली महादेव के एरिया से छेड़छाड़ न करने की देवी देवताओं की भविष्यवाणी के बाद अंतिम फैसला अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप से तय होगा।

प्रदेश सरकार भी कहती है कि यह केंद्र का प्रोजेक्ट है। ऐसे में अब इसे रद्द करने का फैसला भी केंद्र को ही लेना है। हाल ही में हुई जगती के बाद अब पूर्व सांसद एवं भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिलने सोमवार को दिल्ली पहुंचे।

उनके साथ बिजली महादेव के कारदार वीरेंद्र सिंह जम्वाल, समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी, सचिव फ्लेह सिंह सहित जिया पंचायत के प्रधान संजू पंडित भी शामिल रहे।

सोमवार को दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के कार्यालय में उनके साथ सभी लोगों ने करीब एक घंटे की मुलाकात में बिजली महादेव प्रोजेक्ट को लेकर सारी जानकारी दी।

इस दौरान बताया गया कि जगती में भी देवी देवताओं ने कहा था कि ऐसे स्थलों को धार्मिक स्थल रहने दे, उन्हें पर्यटन स्थल न बनाएं। सोमवार को दिल्ली में जेपी नड्डा से बिजली महादेव रोपवे विरोध समिति मिले। इस दौरान महेश्वर सिंह भी साथ थे।

ऐसे में रोपवे को लेकर विस्तार से सभी ने अपनी बात को रखा। अब पीएम से स्वास्थ्य मंत्री आगामी चर्चा करेंगे। समिति में शामिल सदस्यों ने बताया कि जिला कुल्लू में स्थानीय लोग भी रोपवे के हक में नहीं है।

ऐसे में वह इस पूरे मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखा जाए, ताकि जल्द से जल्द इस रोपवे को निरस्त किया जा सके। बिजली महादेव रोपवे विरोध समिति के सदस्य एवं जिया पंचायत के प्रधान संजीव कुमार ने बताया कि करीब एक घंटे तक दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ वार्ता की गई।

उन्होंने कहा कि देवता बिजली महादेव ने भी साफ आदेश दिए हैं कि जो भी धार्मिक स्थल हैं, वहां पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाए। इस बारे में भी जेपी नड्डा को अवगत करवाया गया है।

उम्मीद है कि जेपी नड्डा इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखेंगे और प्रधानमंत्री भी लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए इस रोपवे को जल्द निरस्त करेंगे।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लेकर धार्मिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नड्डा स्वयं हिमाचल से संबध रखते है और कुल्लू शहर में भी उनका नाता है, ऐसे में यहां की देव संस्कृति को वह अच्छे से समझते हैं।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग, सभी निगाहें प्रधानमंत्री पर टिकीं

स्थानीय लोग कहते हैं कि बिजली महादेव कोई निर्माण स्थल नहीं, श्रद्धा का केंद्र है। वहीं, विकास पक्ष यह तर्क दे रहा है कि परियोजना से क्षेत्रीय रोजगार और पर्यटन को नया बल मिलेगा।

देव स्थल से छेड़छाड़ नहीं होगी। परियोजना देव स्थल से कुछ दूरी पर लगना है। ऐसे में अब सारी निगाहें प्रधानमंत्री कार्यालय पर टिकी हैं। क्या विकास की दौड़ में आस्था पीछे छूटेगी या फिर प्रकृति और परंपरा की जीत होगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार पीएमओ इस प्रोजेक्ट पर विस्तृत रिपोर्ट मांग चुकें है और संकेत मिल रहे हैं कि मनाही की संभावना प्रबल है। यदि ऐसा होता है तो यह निर्णय कुल्लू घाटी के धार्मिक धरोहरों के लिए ऐतिहासिक साबित होगा।

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