सुक्खू सरकार शीतकालीन प्रवास पर कांगड़ा आ रही है। जाहिर तौर पर इससे जनता को फायदा होगा। इसके साथ ही लोगों ने अब धर्मशाला को शीतकालीन राजधानी की मांग तेज कर दी है।
लोगों का कहना है कि यदि धर्मशाला को सुक्खू सरकार शीतकालीन राजधानी बनाती है, तो इससे न केवल ऊपरी और निचले हिमाचल की दूरियां पटेंगी, बल्कि इससे सरकार पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ भी कम होगा।
गौर हो कि 90 के दशक में वीरभद्र सरकार ने इस परंपरा को शुरू किया था, लेकिन पिछली जयराम सरकार के कार्यकाल में यह परंपरा लगभग बंद हो गई थी।
अब सुक्खू सरकार सत्ता के दो साल बाद इसे फिर शुरू कर रही है। इससे पहले जब सरकार कांगड़ा घाटी में शीतकालीन प्रवास पर पहुंचती थी, तो जहां लोगों के व्यक्तिगत कार्य तुरंत होते थे, वहीं विभिन्न योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यासों से तरक्की के आयाम स्थापित होते थे।
कभी वीरभद्र सिंह के शासनकाल में 15-20 दिनों तक सरकार कश्मीर हाउस धर्मशाला से चलती थी। मंत्रिमंडल की बैठकों के साथ विभिन्न कल्याण बोर्डों की बैठकें भी यहां होती रही हैं।
वीरभद्र सिंह ने साल 2017 में धर्मशाला को शीतकालीन राजधानी का दर्जा दिया था। धर्मशाला में सचिवालय का निर्माण भी दरबार मूव के इरादे से हुआ था।
कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी यहां शीतकालीन प्रवास की बात कही थी और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसे अमलीजामा पहनाया था।
कांग्रेस की शीतकालीन प्रवास की परंपरा शीतकालीन सत्र तक जा पहुंची और आलीशान विधानसभा भवन बना। हालांकि शीतकालीन प्रवास कश्मीर हाउस से सर्किट हाउस शिफ्ट हुआ और उसके बाद धर्मशाला में सचिवालय का निर्माण करवाया गया।
हालांकि मंत्री तो यहां नहीं बैठे, लेकिन अब जिला प्रशासन जरूर यहां से चल रहा है। अब लोगों को उम्मीद है कि शीतकालीन प्रवास की परंपरा को मजबूत ढंग से निभाया जाएगा और इससे निचले क्षेत्र के इलाकों की दिक्कतें हल होंगी।
155 साल पहले हुआ था राजधानी बनाने का प्रयास
धर्मशाला को राजधानी का दर्जा देने की कवायद नई नहीं है। इसकी शुरुआत 155 साल पहले शुरू हुई थी। ब्रिटिश शासनकाल में गवर्नर जनरल लॉर्ड एल्गिन 1852 में धर्मशाला आए थे।
इस दौरान उन्होंने लंदन में ब्रिटिश सरकार को यह प्रस्ताव भेजा कि धर्मशाला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया जाए, लेकिन बाद में अंग्रेजों को शिमला भा गया और धर्मशाला के राजधानी बनने के प्रयासों को पहला झटका लगा।
20 नवंबर, 1853 को लॉर्ड एल्गिन की मौत के साथ ही यह बात भी दफन होकर रह गई। कई साल बाद भाजपा सरकार ने यह मुद्दा उठाया और धर्मशाला को ग्रीष्मकालीन की बजाय शीतकालीन राजधानी बनाने की मांग उठने लगी।
इसके बाद कांग्रेस सरकार ने शीतकालीन सत्र की परंपरा शुरू की। इस सबके बाद धर्मशाला को अघोषित राजधानी कहा जाने लगा है।