अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, सीएम सुक्खू ने महिला विकास प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर की एक लाख

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शिमला : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने महिला को तोहफा देते हुए हिमाचल प्रदेश महिला विकास प्रोत्साहन पुरस्कार की राशि 21 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपए तथा जिला स्तरीय पुरस्कारों की राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपए करने की घोषणा की।

सीएम सुक्खू शिमला के पीटरहॉफ में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समाज को दिशा देने में महिलाओं का सदैव ही उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं माता, बेटी, पत्नी तथा बहन के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से निर्वहन करती हैं।

सीएम सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने सदैव ही महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण एवं उन्हें सम्मान देने के दृष्टिगत महत्वाकांक्षी योजनाएं एवं नीतियां बनाई हैं।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से महिलाओं के लिए पंचायतों एवं स्थानीय निकायों में 33 फीसदी आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के प्रयासों से लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित करवाया गया है और लोकसभा में पारित होने के उपरांत यह निकट भविष्य में महिलाओं के लिए राज्य व राष्ट्र के स्तर पर अपनी सशक्त भूमिका निभाने का माध्यम बनेगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को जीवंत रखने में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य में महिलाओं में आत्मसम्मान की भावना विकसित करने पर केंद्रित विभिन्न योजनाएं आरम्भ की जाएंगी।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और हमारे समाज में महिलाओं को उचित सम्मान की समृद्ध परम्परा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए राज्य सरकार नई योजनाएं आरम्भ कर रही है।

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सर्वप्रथम 101 करोड़ रुपए के मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष की स्थापना कर इस ओर ठोस कदम बढ़ाए हैं।

सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना शुरू की गई है ताकि निराश्रित महिलाएं व अनाथ बच्चे किसी की दयादृष्टि पर निर्भर न रहें। प्रदेश सरकार 27 साल की उम्र तक उनका ध्यान रखेगी और उन्हें उच्च शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करेगी।

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