शिमला: प्रदेश का कोई भी युवा वित्तीय संसाधनों और आर्थिक अभाव के कारण व्यावसायिक शिक्षा से वंचित न रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
यह योजना गरीब मेधावी विद्यार्थियों की उच्च अध्ययन की आवश्यकताओं जैसे रहने-खाने, ट्यूशन फीस, किताबें और अन्य शिक्षा संबंधी खर्चों के लिए 20 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण प्रदान करती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह ऋण एक प्रतिशत की ब्याज दर पर प्रदान किया जाएगा।
व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल, पैरा-मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून इत्यादि विषय में डिप्लोमा और डिग्री हासिल करने के लिए स्थायी (बोनाफाइड) हिमाचली विद्यार्थी, जिन्होंने पिछली कक्षा में परीक्षा न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की हो, वह इस शिक्षा ऋण का लाभ उठा सकते हैं।
इसके अतिरिक्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और बहुतकनीकी महाविद्यालयों से तकनीकी पाठ्यक्रम और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के तहत पीएचडी करने पर भी इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने पहले बजट भाषण में मेधावी विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण उपलब्ध करवाने के लिए इस नई योजना की घोषणा की थी। हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल ने इस योजना को स्वीकृति प्रदान की है।
उपायुक्त स्तर पर भी स्थापित होगा कोष
ऋण राशि के वितरण संबंधी किसी प्रकार के विलंब को दूर करने के लिए उपायुक्त स्तर पर एक कोष स्थापित किया जाएगा।
वह संबंधित संस्था को शुल्क की पहली किस्त जारी करने के लिए अधिकृत होगा, ताकि यदि बैंक पहली किस्त जारी करने में समय लेते हैं, तो यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थियों की प्रवेश प्रक्रिया किसी प्रकार से बाधित न हो। इसके बाद इस पैसे की प्रतिपूर्ति बैंक द्वारा संबंधित उपायुक्त को कर दी जाएगी।
चार लाख रुपए से कम आय वाले नौजवान पात्र
ऐसे विद्यार्थी, जिनकी पारिवारिक आय सभी स्रोतों से चार लाख रुपए प्रतिवर्ष से कम हो और लाभार्थी की आयु सीमा 28 वर्ष तक हो, इस योजना के लिए पात्र होंगे।
इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए इच्छुक विद्यार्थी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर आवेदन कर सकते हैं।
पात्र विद्यार्थी को निदेशक, उच्च शिक्षा द्वारा ऋण की पहली किस्त जारी करने के लिए संबंधित बैंक को मामले की सिफारिश की जाएगी।