16 साल बाद शिमला नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा

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शिमला: नगर निगम शिमला में मिली एक तरफा जीत के साथ कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल में जीत की हैट्रिक लगा दी है। इससे पहले साल 2021 में हुए उपचुनाव और 2022 हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी।

ऐसे में अब नगर निगम शिमला चुनावों में कांग्रेस की हैट्रिक लग गई है। वहीं, विधानसभा चुनावों में मिशन रिपीट का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी नगर निगम चुनावों में भी मिशन रिपीट नहीं कर पाई है।

नगर निगम शिमला के नतीजे लगभग एक तरफा ही रहे हैं। कुल 34 सीटों में से 24 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हालिस की है। भाजपा को सिर्फ नौ ही सीटों पर जीत मिली है। वहीं, माकपा को एक सीट पर जीत मिली है।

2021 में हिमाचल में चार सीटों पर उपचुनाव हुआ। इसमें एक सीट संसदीय क्षेत्र की सीट थी, जबकि तीन सीटें विधानसभा क्षेत्र की थी।

Congress captured Shimla Municipal Corporation after 16 years

इन चुनावों में कांग्रेस ने 4-0 के साथ जीत हालिस की। इसके बाद विधानसभा चुनावों बारी आई। नवंबर 2022 में विधानसभा चुनाव हुए।

इसमें भी कांग्रेस को ही बहुमत मिला। कुल 68 सीटों में से 40 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई। 25 सीटों पर भाजपा को जीत मिली, बाकी सीटों पर आजाद उम्मीदवारों को जीत मिली।

इसके बाद अब अब नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस को जीत मिली है। वहीं, नगर निगम शिमला में बड़े लंबे समय के बाद चुनावों में कांग्रेस की वापसी हुई है। साल 2007 में नगर निगम शिमला पर कांग्रेस का राज था।

इसके बाद साल 2012 में माकपा के मेयर और डिप्टी रहे। वहीं, साल 2017 में पहली बार भाजपा ने नगर निगम शिमला में जीत हासिल की।

ऐसे में अब साल 2023 में नगर निगम में कांग्रेस की वापसी हुई है। यानी कुल 16 सालों के बाद नगर निगम शिमला में कांग्रेस ने वापसी की है। (एचडीएम)

निगम में भी मिशन रिपीट नहीं

नगर निगम शिमला के चुनावों में भी भाजपा मिशन रिपीट नहीं कर पाई है। इससे पहले जहां विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था तो वहीं नगर निगम शिमला के चुनावों में भी भाजपा को करारी हार मिली है।

साल 2017 में पहली बार नगर निगम शिमला में भाजपा को जीत मिली थी। इससे पहले भाजपा नगर निगम शिमला के चुनावों में नहीं जीत पाई थी।

ऐसे में भाजपा के सामने चुनौती थी कि वह नगर निगम शिमला में अपना दबदबा कायम रखे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी चुनौतियों पर खरा नहीं उत्तर पाए हैं। भाजपा के सिर्फ 09 ही प्रत्याशियों को जीत मिली हैं, जबकि बाकी अन्य को हार का सामना करना पड़ा है।

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