पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं, जो भी निर्णय सरकार के खिलाफ आता है, उसे सर्वोच्च न्यायालय या डबल बैंच में चैलेंज किया जाता है।
होटल बंद करने के आदेश में भी मुख्यमंत्री लीगल ओपिनियन लेकर अगला कदम उठाएंगे। विपक्ष में रहते हुए इस विषय को गंभीरता से उठाया था, जो भी बोर्ड कोरपोरेशन हैं, वे घाटे में चल रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह हालात आज से नहीं हैं। प्रदेश की वित्तीय परिस्थिति भी पहले से खराब हुई है।
पिछली सरकारों के समय भी यह हालात बने हुए थे। रेवन्यू डेफिसिट ग्रांट की वजह से यह हालात बने हैं। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट ने आक्यूपेंसी को लेकर होटलों को बंद करने का फैसला दिया है।
कई ऐसे होटल हैं, जिनमें आक्यूपेंसी के अलावा दूसरी गतिविधियां भी चल रही हैं। उन्होंने चायल होटल के बारे में कहा कि यहां कोरपोरेट मीटिंग और शादी के इवेंट करवाए जाते हैं, लेकिन इन आयोजनों को संज्ञान में नहीं लिया गया।
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले का रिव्यू किया जाएगा। भविष्य में कैसे लडऩा इसका फैसला सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान (रेवन्यू डेफिसिट ग्रांट) पहले 12 हजार करोड़ रुपए मिलता था। जो अब चार हजार करोड़ रुपए पर सिमट गया है। उन्होंने कहा कि राजस्व घाटे की समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल जिम्मेदारी वाले पद पर हैं। प्रदेश के वित्तीय संरचना की बात है उसमें सभी की भागीदारी बराबर की है और भाजपा इस हिस्सेदारी से भाग नहीं सकती है।
भाजपा ने कौन से काम किए, जिससे वित्तीय स्थिति मजबूत हुई, इसका जवाब जयराम ठाकुर को देना होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते दो साल के दौरान आय के साधन बढ़ाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने वाटर रिसोर्स पर बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने बिजली कंपनियों से 18 प्रतिशत रॉयल्टी की बात की है। ऐसा न करने वाले बिजली प्रोजेक्ट सरकार ने प्रोजेक्ट को वापस ले सकती है।