बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट बंद करने का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता रजनीश शर्मा ने मैसर्ज अदाणी ग्रुप की ओर से सीमेंट प्लांट को बंद करने के निर्णय को चुनौती दी है।
मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिका में कुछ त्रुटियां पाईं। याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेते हुए दोबारा से दायर करने की गुहार लगाई।
मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को दोबारा से याचिका दायर करने की छूट दी है।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि मैसर्ज अदाणी ग्रुप ने एकाएक दोनों प्लांट बंद कर दिए। इस व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। बरमाणा सीमेंट प्लांट में 4,000 ट्रक सीमेंट ढुलाई के कार्य में लगे थे।
इसी तरह दाड़लाघाट में भी 3,500 परिवारों का गुजारा सीमेंट ढुलाई से ही चलता था। ये सारे ट्रक अब सड़क पर खड़े हैं, इससे ट्रैफिक जाम भी बना रहता है।
ट्रक ऑपरेटर के साथ-साथ मेकेनिक, ढाबे, पेट्रोल पंपों इत्यादि को सीमेंट प्लांट बंद होने से सीधा नुकसान हुआ है। मैसर्ज अदाणी ग्रुप ने पिछले साल ही ये दोनों सीमेंट प्लांट खरीदे थे और स्थानीय लोगों को रोजगार देने का वादा किया था।
साथ ही राज्य के कल्याण के लिए कार्य करने का आश्वासन दिया था। लेकिन एक वर्ष के भीतर ही अदाणी ग्रुप ने दोनों सीमेंट प्लांटों पर ताले जड़ दिए। जिन लोगों ने अपनी कृषि योग्य जमीन प्लांट लगाने के लिए दी है, वे सभी परिवार सीमेंट ढुलाई पर ही निर्भर हैं।
ट्रक खरीदने के लिए उन्होंने मोटी रकम खर्च की है। प्लांट बंद करने से लोन की किस्त चुकानी भी मुश्किल हो गई है। दोनों सीमेंट प्लांट बंद करने से पहले अदाणी ग्रुप ने नियमों के तहत न तो राज्य सरकार को एक महीने का नोटिस दिया और न ही श्रम विभाग को प्लांट बंद करने की सूचना दी गई। यही नहीं, हिमाचल प्रदेश सीमेंट उत्पादक राज्य है, लेकिन सीमेंट के दाम दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक हैं।