हिमाचल प्रदेश के पहले इलेक्ट्रिक बस डिपो को बनाने की शुरुआत धर्मशाला से की जा सकती है। यहां पर इन दिनों परिवहन निगम द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन से अत्याधुनिक वर्कशॉप बन रही है।
साथ ही नए बस टर्मिनल का काम भी शुरू हो गया है। ऐसे में सरकार पेट्रोल व डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के अपने दावों को आसानी से साकार कर सकती है।
यहां पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं और योजना से इलेक्ट्रिक बस डिपो बनाने के लिए प्लान बनाया जा,ए तो यह पूरे देश के लिए एक मॉडल डिपो बन सकता है।
प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में इन दिनों परिवहन निगम की दो बड़ी एवं महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं बस टर्मिनल और अत्याधुनिक वर्कशॉप का काम चल रहा है।
इन दोनों ही प्रोजेक्ट को सरकार अपने नए आईडिया के साथ जोड़ें, तो भविष्य को लेकर योजना बनाई जा सकती है। धर्मशाला डिपो में करीब 130 बसें हैं, जिनमें से 15 स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इलेक्ट्रिक बसें ली गई हैं, जिनका प्रबंधन परिवहन निगम कर रहा है।
इसके अलावा अन्य डिपो में चल रही इलेक्ट्रिक बसों को भी अपने पहले व मॉडल डिपो में शिफ्ट कर उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है।
धर्मशाला डिपो के लिए शहर के एक छोर पर सुधेड़ से पहले बनाई जा रही वर्कशॉप पर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करीब 13 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जिसमें ग्राउंड फ्लोर में डीजल बसों की मेंटेनेंस की सुविधा का प्रबंध किया जा रहा है और पहले फलोर पर इलेक्ट्रिक बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था होगी।
ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों की मेंटेनेंस का कार्य भी इन्ही वर्कशॉप में किया जाए और मौजूदा वर्कशॉप मैन को प्रशिक्षण दिया जाए, तो वर्कशॉप में कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य भी सुखद होगा और प्रदेश के लिए भी धर्मशाला का यह डिपो दिशा देना वाला हो सकता है।
इसी तरह धर्मशाला में बन रहा बस टर्मिनल भी यदि भविष्य को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों की सुविधा के हिसाब से बनाया जाए, तो यह प्रदेश के लिए मॉडल बस अड्डा बन सकता है।