PM मोदी ने देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन का किया उद्घाटन, बच्चों के साथ किया सफर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हुगली नदी के नीचे कोलकाता महानगर को हावड़ा से जोड़ने वाली देश की पहली अंडर वॉटर मेट्रो रेल परियोजना के अनावरण के साथ ही करीब 15,400 करोड़ रुपए की लागत वाली विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

पीएम मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम के बाद स्कूली बच्चों के साथ एस्प्लेनेड से हावड़ा मैदान तक मेट्रो की सवारी की। इस दौरान उन्होंने छात्रों से बातचीत भी की। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और विपक्षी नेता शुवेंदु अधिकारी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।

एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी कोलकाता मेट्रो रेलवे ने आमंत्रित किया था, लेकिन वह अन्य पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम में होने के कारण यहां नहीं पहुंच सकी।

प्रधानमंत्री ने ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का विस्तार करते हुए एस्प्लेनेड से अन्य ट्रेन सेवाओं को भी हरी झंडी दिखाई, जो शहर और इसके बाहरी इलाकों को पार करेगी, जिससे 300 साल से अधिक पुराने और कभी ब्रिटिश भारत की राजधानी रहे कलकत्ता (अब कोलकाता) महानगर की यात्रा आसान हो जायेगी।

वर्तमान में संचालित मेट्रो रेल लाखों यात्रियों को न्यू गरिया स्टेशन के उत्तर पूर्व से उत्तर में दक्षिणेश्वर तक ले जाती है। पूर्व-पश्चिम गलियारे में कवि सुभाष-हेमंत मुखोपाध्याय और तारातला-माजेरहाट मेट्रो खंड शामिल हैं।

उन्होंने रूबी हॉल क्लिनिक से रामवाड़ी तक पुणे मेट्रो , एसएन जंक्शन मेट्रो स्टेशन से त्रिपुनिथुरा मेट्रो स्टेशन तक कोच्चि मेट्रो विस्तार परियोजना (चौथा चरण ) , ताज ईस्ट गेट से मनकामेश्वर तक आगरा मेट्रो का विस्तार और दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के दुहाई-मोदीनगर (उत्तर) खंड का भी वर्चुअल उदघाटन किया।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड के बीच मेट्रो ट्रेन चलेगी।

दोनों स्टेशंस (हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड) के बीच टनल की कुल लंबाई 4.8 किलोमीटर है जिसमें 1.2 किमी सुरंग हुगली नदी में 30 मीटर नीचे है, जो इसे ‘किसी भी बड़ी नदी के नीचे देश की पहली परिवहन सुरंग’ बनाती है।

इस अंडरवॉटर मेट्रो के जरिए इंडिया में नदी के नीचे पहली सुरंग भी ट्रैफिक के लिए खुल जाएगी। यह सुरंग ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें फिलहाल सॉल्ट लेक सेक्टर 5 से सियालदह तक का हिस्सा व्यावसायिक रूप से परिचालन में है। कॉरिडोर की पहचान साल 1971 में शहर के मास्टर प्लान में की गई थी।

 

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