औषधीय पौधे वे पौधे होते हैं जिनके किसी भी भाग से औषधि यानी दवाएं बनाई जाती है। इन पौधों में औषधीय गुण होते हैं जो कई तरह के रोगों के इलाज में मदद करते हैं।
औषधीय पौधे प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं या इन्हें जैविक तरीके से भी उगाया जा सकता है। औषधीय पौधों के कई प्रकार होते हैं, जिनमें जड़ी-बूटियाँ, फूल, फल, सब्जियाँ और पेड़ शामिल हैं।
कुछ आम औषधीय पौधों में तुलसी, नीम, अदरक, हल्दी, अश्वगंधा, लेमनग्रास की खेती और ब्राह्मी शामिल हैं। यहाँ हमने कुछ औषधीय पौधों के बारे में जानकारी दी है जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं
रसभरी
रास्पबेरी को ‘रसभरी‘ भी कहा जाता है। यह एक बारहमासी फल है, जो स्वाद में लाजवाब होता है और कई रंगों में पाया जाता है जैसे –संतरी और काले। रास्पबेरी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें लगभग सभी फलों से ज्यादा एंटीऑंक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। रास्पबेरी में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
रसभरी (रास्पबेरी) के कुछ गुण इस प्रकार हैं:-
- यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकती है।
- यह दिल की सुरक्षा कर सकती है।
- इसमें डायबिटीज के खतरे को कम करने के गुण हो सकते हैं।
- यह कैंसर से बचाव कर सकती है।
- यह वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
- यह सूजन, जलन को कम करने में मदद कर सकती है।
- इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण हो सकते हैं।
- इसमें स्किन की रक्षा करने के गुण हो सकते हैं।
- यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकती है।
- यह शारीरिक विकास में मदद कर सकती है।
अमरूद
अमरूद : सीडियम ग्वायवा, प्रजाति सीडियम, जाति ग्वायवा, कुल मिटसी) एक फल देने वाला वृक्ष है। इससे डाइजेशन बेहतर होता है आप अगर पेट दर्द से परेशान रहते हैं या फिर आपको डाइजेशन से जुड़ीं प्रॉब्लम्स रहती हैं, तो रोजाना एक अमरूद खाना शुरू कर दें।
दिल की बीमारियों का कम खतरा: आप अगर अपने दिल को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो आप डाइट में अमरूद को जरूर शामिल करना चाहिए।
अमरूद की पत्तियों में रोगाणुरोधी गुण होते है जो आंत के बैक्टीरिया को संतुलित करने में मदद करते हैं। अमरूद की पत्ती की चाय का उपयोग अक्सर दस्त, कब्ज और पेट के अल्सर के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है।
त्वचा के स्वास्थ्य का संरक्षण: अमरूद के पत्तों में पाया जाने वाला विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स का एक अच्छा स्रोत है।
अमरूद के जूस में विटामिन सी पाया जाता है। स्कर्वी विटामिन सी की कमी से होता है; प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में अमरूद का जूस पीने से विटामिन सी की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
अमरूद का जूस विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन का बेहतरीन स्रोत है। ये पोषक तत्व आंखों की रोशनी और दृष्टि बढ़ाने में सहायक होते हैं। मुंह के छालों मैं भी अमरूद के पत्ते लाभदायक होते हैं।
छुईमुई
छुईमुई एक संवेदनशील पौधा है जिसकी पत्तियों को छूने पर वह सिकुड़ जाती हैं। छुईमुई आयुर्वेद में जड़ी बूटी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसके पौधे कांटेदार और जमीन से 2 से तीन फीट ऊपर तक उठने वाले होते है।
छुईमुई की पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं और यह इमली की पत्तियों के समान दिखती हैं। छुईमुई का वानस्पतिक नाम माईमोसा पुदिका है। आदिवासी इलाके में इस पौधे का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के लिए काफी समय से किया जाता रहा है।
छुई मुई या लाजवंती एक बारहमासी पौधा है जिसका इस्तेमाल आप आयुर्वेदिक तरीकों से तमाम बीमारियों के इलाज के लिए कर सकते हैं। छुईमुई की पत्तियों में एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल के बारे में विस्तार से बताया गया है।
लोग प्राचीन काल से ही इसका इस्तेमाल बवासीर, कब्ज, मधुमेह (डायबिटीज) जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए करते आ रहे हैं। इसके पौधे (पत्ती समेत) का अर्क बनाकर उसका सेवन करने से आपको मानसिक समस्याओं में फायदा मिलेगा।
आप तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए छुईमुई के पौधे का अर्क बना लें। अब इस अर्क का रोजाना सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से इन बीमारियों में फायदा मिलेगा।
घर पर छुई मुई का पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु अर्थात फरवरी से अप्रैल माह के बीच का होता है, लेकिन यदि आप गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो आप अत्यधिक ठंड का मौसम छोड़कर, साल भर किसी भी समय इस पौधे को लगा सकते हैं।
कसूरी मेथी
कसूरी मेथी बेहद खुशबूदार होती है। इसकी सब्जी या परांठे खाने में बेहद स्वादिष्ट होते है। खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए कसूरी मेथी को आप किसी भी सब्जी में डाल सकते हो। कसूरी मेथी हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होती है। मेथी मसाले के रूप में तो काम आती ही है परंतु यह पाचन की समस्या को भी ठीक करती है।
मिर्ची
हरी मिर्च दिल को हेल्दी रखने में भी फायदेमंद साबित हो सकती है। नियमित रूप से हरी मिर्ची खाने से एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी बीमारी को दूर करने के लिए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम किया जा सकता है।
हरी मिर्च में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है। हरी मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट का एक अच्छा माध्यम है। विटामिन ए से भरपूर हरी मिर्च आंखों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद है। हाल में हुई कुछ स्टडीज के अनुसार, हरी मिर्च ब्लड शुगर को कम करने में कारगर होती है। एक स्वस्थ व्यक्ति दिन भर में 3 से 4 हरी मिर्च खा सकता है।
हरी मिर्च में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है, जो स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। हरी मिर्च में फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी होते हैं जो त्वचा के दाग धब्बों को दूर करने में मदद करते हैं। हरी मिर्च आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को भी अच्छी बनाती हैं। साथ ही यह तनाव को कम करने में भी सहायक होती हैं।
लाल मिर्च के नुकसान क्या है?
जहाँ एक तरफ हरी मिर्च के फायदे हैं वहीँ दूसरी तरफ लाल मिर्च के नुक्सान है। अगर आप रोजाना ज्यादा मात्रा में लाल मिर्च खा रहे हैं, तो इससे अस्थमा की समस्या काफी बढ़ सकती है। इतना ही नहीं इसकी वजह से अस्थमा अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
वहीं, अगर आप रोजाना ज्यादा मात्रा में लाल मिर्च खा रहे हैं, तो इससे सांस से जुड़ी बीमारी होने की संभावना भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है। भुनी हुई लाल मिर्च खाना भी अच्छी होती है। हमारे बुजुर्ग अनपढ़ जरूर थे लेकिन उनको आयुर्वेद का अच्छा खासा ज्ञान था।
मिर्च की कई प्रजातियां पाई जाती है। भूत जोलोकिया – दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है। इसे आमतौर पर भूतिया काली मिर्च के रूप में जाना जाता है और यह केवल असम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में उगाया जाता है।
2007 में, इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा ‘दुनिया की सबसे तीखी मिर्च’ के रूप में प्रमाणित किया गया है। यह मिर्च इतनी खतरनाक है की इसको खाने से किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इसका सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक होता है।
पहली और दूसरी फोटो मेरे किचन गार्डन में से ली गई है परंतु तीसरी फोटो इंटरनेट पर से ली गई है।यह मिर्च भूत जोलोकिया है जो दुनिया की सबसे खतरनाक मिर्च है। अगर आप सब को यह जानकारी अच्छी लगे तो पोस्ट को लाइक और शेयर जरूर करें।
तिरमिरा
तिरमिरा जिसे तिमूर या तोमर भी कहा जाता है। यह खास तौर पर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाया जाता है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम जेनथोजायलम अर्मेटम है। इस पेड़ की पत्तियां, टहनी, बीज और फल सभी फायदेमंद होते हैं। इसके प्रयोग से हाई बीपी से लेकर कई छोटी-बड़ी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। यह पौधा दांत दर्द के लिए बेहद फायदेमंद पौधा होता है। इसकी दातुन करने से मसूड़े मजबूत होते है।
तिरमीरा के बीज मुंह में डाल कर चबाने से पिपरमिंट जैसा स्वाद आता है। इससे मुंह की गंदी बदबू दूर होती है। रोज रात को खाना खाने के बाद अगर इनके बीजो को चबाया जाए तो मसूड़े भी मजबूत होते हैं। तिरमिरा के बीजों में पोटैशियम की मात्रा भरपूर्ण होती है इसलिए इन्हें खाने से बढ़ा हुआ बीपी कंट्रोल रहता है।
इसके बीज पेट से संबंधित रोगों के लिए फायदेमंद होते है। इसके बीज पाचन तंत्र को ठीक रखते हैं। इस पौधे की पत्तियों का लेप एंटीसेप्टिक का काम करती है। इस पौधे के कांटो से ले कर टहनी तक का आयुर्वेद मैं बहुत महत्व है।
इसके कांटों का प्राय ब्लड प्रेशर हाई होने पर एक्यूपंक्चर के लिए पुराने समय में उपयोग होता था। इसके बीजों का स्वाद पीपरमिंट जैसे होता है। इन बीजों का उपयोग पुराने समय में मसाले के रूप में भी किया जाता था।
पुदीना
पुदीना में विटामिन ए विटामिन सी पोटैशियम आयरन कैल्शियम और एंटी वायदलोर एंटीऑक्साइड तत्व होते हैं। पुदीने का अधिक प्रयोग गर्मियों मैं किया जाता है क्योंकि गर्मियों में पुदीने का सेवन करने से डीहाड्रेशन और लू की समस्या से बचाव होता है।
पुदीने में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, ऐसे में ये पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। डाइजेशन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए पुदीना काफी फायदेमंद साबित होता है। एसिडिटी की समस्या हो तो एक कप गुनगुने पानी में आधा छोटा चम्मच पुदीना का रस मिलाकर पी लें ऐसा करने से आपको फायदा मिलेगा।
आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं।
यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि रोगों को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। गर्मियों में पेट की सेहत के अच्छी है पुदीने की चटनी। पुदीना प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
पुदीने की ठंडी शक्ति आंत के स्वास्थ्य को शांत करने में मदद करती है। वास्तव में, जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुणों की उपस्थिति आंत के रोगाणुओं को स्वस्थ रखने में मदद करती है। पुदीना बहुत ही महत्वपूर्ण हर्बल पौधा है इसे आप घर में गमलों में भी उगा सकते है।
गर्मियों के मौसम में इसका सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है गर्मियों के मौसम में हमें प्रतिदिन पुदीना या इस से बने पेय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए। पुदीने का उपयोग दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है।
लेमन ग्रास
लेमन ग्रास की बात कर रहे हैं। यह सिर से लेकर पैर तक, कई बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक हो सकती है।लेमन ग्रास की न सिर्फ सुगंध बल्कि इसका स्वाद भी नींबू के से मिलता-जुलता होता है। लेमन ग्रास में कई औषधीय गुण होते हैं, जिस वजह से कई आयुर्वेदिक उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें बैक्टीरिया से बचाव के लिए एंटी-बैक्टीरियल, सूजन को दूर करने के लिए एंटी-इन्फ्लेमेटरी व फंगस से राहत दिलाने के लिए एंटी-फंगल प्रभाव होते हैं। लेमन ग्रास में पाए जाने वाले ये सभी गुण कई कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में लेमन ग्रास अहम भूमिका निभा सकती है। यदि किसी को पाचन संबंधी परेशानी है, तो वो लेमन ग्रास टी से तैयार चाय का सेवन कर सकता है। वजन कम करने के लिए लेमन ग्रास बेहद फायदेमंद होता है।
लेमन ग्रास में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी और सी मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में सहायक भूमिका निभा सकते हैं अर्थराइटिस ऐसी समस्या है, जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न आने लगती है। 30 से 60 साल की उम्र में ये समस्या होना आम है।
एक वैज्ञानिक अध्ययन में गठिया की समस्या से राहत के लिए लेमन ग्रास तेल को फायदेमंद बताया गया है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो गठिया के लक्षणों से आराम दे सकता हैअस्थमा और मधुमेह के मरीजों के लिए भी लेमन ग्रास बेहद लाभकारी होता है।
इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो खाली पेट और खाने के बाद के ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। लेमन ग्रास हमारे लिवर स्किन और बालों के लिए बहुत अच्छा होता है इसलिए हमे इसका इस्तेमाल अपनी दैनिक दिनचर्या मैं जरूर करना चाहिए।
शतावरी
शतावरी जिसे हमारी देसी भाषा मैं संसर बूटी और अंग्रेजी में asparagus भी कहते है। यह एक बेहद उपयोगी जड़ी बूटी है धार्मिक अनुष्ठानों मैं उपयोग के साथ साथ इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है। आंत और पेट की समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
तावरी ठंडी तासीर की होती है और यह वात पित्त के संतुलन को बनाए रखती है। जिनको नींद नहीं आती है उनको इसका सेवन करना चाहिए। शतावरी का उपयोग वजन कम करने मधुमेह (शुगर) में माइग्रेन की समस्या होने पर भी किया जाता है।
यह हृदय के लिए लाभदायक होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शतावरी पाचन शक्ति को ठीक रखती है। हादियों और अनिंद्रा के लिए बेहद लाभदायक होती है।
शतावरी मैं एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो की दिल से संबंधित बीमारियों में फायदेमंद होती है। यह स्किन के लिए भी फायदेमंद होती है और यह झुर्रियों को दूर करती है। शतावरी के नियमित रूप से सेवन करने से कैंसर जैसी घटक बिमारियों को दूर किया जा सकता है।
यह पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करती है। यह पेट में होने वाली समस्याओं में लाभदायक है। शतावरी चूर्ण खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है। वजन बढ़ने या फिर गेस्ट्रिक जैसी समस्याओं के लिए शतावरी का चूर्ण बेहद फायदेमंद होता है।
अपमार्ग
अपमार्ग जिसे उपटकांटा या चिरपिटा भी कहते है। अपमार्ग का उपयोग दांत दर्द में भी किया जाता है। अपमार्ग के 2 या 3 पत्तों के रस में रुई को डुबाकर इसको दांतों पर रखने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। अपमार्ग की ताज़ी जड़ की दातुन करने से भी दांत दर्द ठीक होता है तथा साथ ही दांतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी या मुंह से बदबू आने की परेशानी भी अपमार्ग से ठीक हो जाती है।
अपमार्ज के पत्तों का काढ़ा बना कर गरारा करने से मुंह के छालों की परेशानी ठीक हो जाती है। अपमार्ग बेहद प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक है। इसका इस्तेमाल एक खास तथा की दवाई बनाने के लिए किया जाता है जिसे क्षारमूत्र कहते है।
क्षार का वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है। अपमार्ग का पौधा औषधिय गुणों से भरपूर होता है जिसका इस्तेमाल किडनी की बीमारियों, कॉलरा, दांत दर्द, बवासीर, मूत्र रोग, पेट और पाचन से संबंधित समस्याओं मैं किया जाता है।
दांत दर्द या मसूड़ों से खून आने पर भी अपमार्ग की डंठल या जड़ का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी पत्तियों को सुखा कर इसका चूर्ण बना कर चुटकी भर नमक मिला कर रोज ब्रश भी कर सकते हैं।
अगर किसी को एग्जिमा त्वचा पर घाव या स्किन इन्फेक्शन या फिर फोड़े फुंसी हो जाए तो अपमार्ग की पत्तियों को पीस कर उसका पेस्ट बना लें और स्किन पर लगाएं। ये खून साफ करता है और इन्फेक्शन को रोकता है। कुछ लोगों को ऐसा करने से एलर्जी हो सकती है।
सर्दी जुखाम या खांसी होने पर अपमर्ग की पत्तियों को पानी में उबाल कर काढ़ा या अर्क बना कर उसका सेवन दिन में दो बार करना चाहिए। इसके सेवन से जुखाम सर्दी में आराम मिलेगा। अपमार्ग एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें एंटीडायबिटिक इफेक्ट होता है इसलिए यह ब्लड शुगर को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।