राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने पर बड़ा ऐलान किया है। परियोजना लगाने वालों को अब सबसिडी नहीं मिलेगी। सबसिडी की जगह राज्य सरकार वित्तीय सहायता देगी, ताकि परियोजना पूरी होने के बाद आर्थिक वसूली की जा सके।
परियोजना स्थापित करने वालों को वित्तीय सहायता कुल लागत की 40 फीसदी तक रहेगी। यानी 15 बीघे में तैयार होने वाली एक मेगावाट की परियोजना का अनुमानित खर्च करीब चार करोड़ रुपए है।
इनमें से करीब एक करोड़ 40 लाख रुपए की आर्थिक मदद राज्य सरकार करेगी। हालांकि पूर्व में 40 फीसदी सबसिडी की बात कही जा रही थी।
मुख्यमंत्री ने बजट के दौरान भी यह ऐलान किया था कि राज्य सरकार परियोजना निर्माण पर सबसिडी प्रदान करेगी, लेकिन अब इसे वित्तीय सहायता में बदल दिया है।
खास बात यह है कि सरकार 100 किलोवाट से दो मेगावाट तक की सभी परियोजनाओं के लिए वित्तीय मदद आने वाले दिनों में कर सकती है।
इन परियोजनाओं से जो बिजली तैयार होगी उन्हें लोक ट्रांसमिशन के माध्यम से खरीदा जाएगा और इसकी सप्लाई तय दाम पर आगे की जाएगी।
सरकार के शुरूआती प्लान को समझें तो चार से पांच साल में बिजली की बिक्री से परियोजनाएं पूरी तरक से कर्ज मुक्त हो जाएंगी। राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली का दाम मौजूदा समय में 3.76 रुपए तय कर दिया है।
इन परियोजनाओं में सरकार का अनुबंध 25 साल तक के लिए रहेगा और 25 साल पूरे होने के बाद 30 फीसदी राजस्व प्रदेश को देना होगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि बजट में राज्य सरकार ने इसकी घोषणा की थी।
अब इस घोषणा को अमल लाते हुए कार्य आगे बढ़ाया जाएगा। इस दिशा में ऊर्जा विभाग की एक अहम बैठक भी आयोजित की जा चुकी है।
सोलर प्रोजेक्ट पर मदद देगी सरकार
बैठक में मुख्यमंत्री ने आदेश दिए हैं कि सरकार राज्य के संभावित उद्यमियों को 100 किलोवाट से दो मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए अब वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता 40 प्रतिशत तक रहेगी।
इस मदद से सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने में उद्यमियों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बैंकों से इन परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए सहायता भी प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को योजना की रूपरेखा शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए,ताकि अधिक से अधिक युवा इसका लाभ ले सकें।