कुल्लू की नरगिस से महकेगी दिल्ली

1070

सैंज : देश की राजधानी नई दिल्ली में 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर हिमाचली फूलों की डिमांड बढ़ गई है। पूजा-पाठ और देवी-देवताओं को चढ़ने वाले नर्गिस फूलों को एक्सपोर्टर में सीधे तौर पर दिल्ली राज्य को सप्लाई करना शुरू कर दिया है।

सुगंध से भरपूर है नरगिस

मौसम और बारिश के कारण इस वर्ष उतनी फसल नहीं है, फिर भी सुगंध से भरपूर नरगिस फूल की डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है। प्रदेश के अधिकतर युवा गणतंत्र दिवस में शरीक होने के बहाने हिमाचली फूल नरगिस की वैरायटी के साथ दिल्ली रवाना हो गए हैं।

हाथों हाथ बिक रही नरगिस

चांदनी चौक  में कुल्लू के फूल विक्रेता बालमकुंद ने दूरभाष पर बताया कि नरगिस फूल समर्थक फूलों को हाथोंहाथ खरीद रहे हैं। नरगिस फूलों की डिमांड बढ़ने के कारण दो रुपए की फूलकली पांच रुपए में बिक रही है। गणतंत्र दिवस के समारोह के मौके पर फूलों की भारी मांग है। राजधानी व आसपास के क्षेत्रों में इस किसम के फूलों को अपने ड्राइंग रूम व बंगले की सुंदरता बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं।

दस बीघा भूमि में लगाए हैं फूल

दस बीघा भूमि में सजावटी फूल उत्पादक एवं हिमाचली फूल विक्रेता बालमकुंद ने बताया कि इस बार वैसे भी नर्गिस फूल की डिमांड बढ़ना स्वाभाविक है। क्योंकि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए इस साल कुल्लू के देवी-देवता व पारंपरिक वाद्ययंत्रों से सजी कुल्लू दशहरा उत्सव की झांकी दिखाई जा रही है। इसी को देखते हुए फूल सप्लाई करने वाले एक्सपोर्टरों ने हिमाचली फूलों की ज्यादा मांग रखी है, ताकि गणतंत्र दिवस के मौके पर उनकी मांग पूरी हो सके। बता दें कि नरगिस फूल को कुल्लवी बोली में बोदी के रूप में पुकारा जाता है। शुष्क मौसम में जहां अन्य फूलों की बिरायटी की अवक अधिक और बिक्री कम हुई है। वहीं, नर्सिग फूलों की मांग दोगुनी हुई है। प्रदेश के कई जिलों में औषधी व सुगंधित फूलों की खेती की जा रही है।

पुष्प उत्पादकों को मिल रहा अच्छा रिस्पोंस

कई सालों में पुष्प उत्पादकों को अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है। भले ही प्रतिवर्ष 26 जनवरी के मौके पर अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है। वहीं, ग्रामीणों को भी फूलों का व्यवासायिक उपयोग होने लगा है। बहरहाल गणतंत्र दिवस के मौके पर हिमाचली फूलों के नखरे बढ़ गए हैं तथा नई दिल्ली में डिमांड ज्यादा होने के कारण नर्गिस फूल नहीं मिल रहे हैं। उधर, कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि  कुल्लू की भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियां पौधों व सुगंध वाले फूलों के लिए रामबाण है।

स्रोत : दिव्य हिमाचल 

Leave a Reply