भरमौर के सचुईं गांव के निवासी व त्रिलोचन महादेव के वंशज पद्मश्री और राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित मुसाफिर राम भारद्वाज का करीब 101 साल की उम्र में निधन हो गया।
वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। गत शुक्रवार शाम करीब पौने 7 बजे उन्होंने अपने दुनेरा स्थित घर में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार दुनेरा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
दिवंगत मुसाफिर भारद्वाज के बेटे कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के मुख्य लाइब्रेरियन विनोद भारद्वाज ने बताया कि उनके पिता बचपन से ही पौन माता बजाने में निपुण थे। राजधानी दिल्ली, पंजाब व हरियाणा समेत देश के कोने-कोने में उन्हें पौन माता बजाने का मौका मिला।
वर्ष 2010 में काॅमन वैल्थ गेम्ज के दौरान उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इससे पूर्व 2002 में राष्ट्रपति पुरस्कार तथा 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। वर्तमान समय में पंजाब में दुनेरा के समीप रहते थे।
भरमौर के सचुईं गांव के निवासी थे। त्रिलोचन महादेव के वंशज, श्री मणिमहेश यात्रा के मुख्य शिव गुर थे। वर्ष 1930 में सचुईं में जन्मे मुसाफिर राम ने 13 वर्ष की आयु में ही पौन माता बजाने की कला अपने बुजुर्गों से सीखी थी।
शनिवार को दुनेरा के समीप पंजाब में तहसीलदार तथा थाना प्रभारी धार पंजाब की पुलिस टीम, नायब तहसीलदार अश्विनी शर्मा तथा पुलिस उपनिरीक्षक जगदीश चंद सहित पठानकोट से आई पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी।
भरमौर के विधायक डाॅ. जनक राज, ठाकुर सिंह भरमौरी, जिया लाल कपूर, ब्रह्मानंद, सुरजीत भरमौरी, इंद्र ठाकुर व ललित ठाकुर ने उनके निधन पर शोक जताया है।