जोगिन्दरनगर : मौसम के अनुसार प्राकृतिक सब्जियां खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. हिमाचल प्रदेश में भी प्रकृतिक रूप से कई प्रकृतिक सब्जियां जैसे कचनार,तरडी,फेगड़े आदि सब्जियां मौसम के अनुसार उपलब्ध होती हैं. ये सब्जियां पौष्टिक तो होती ही हैं वहीँ इनके खाने से शरीर की कई बीमारियाँ भी दूर होती हैं. फेगड़े की सब्जी खाने से खारिश दूर होती है तथा यह रक्त को भी शुद्ध करने में सहायता करती है.
ब्याह शादियों में बनती थी
कुछ समय पहले तक गाँवों में ब्याह शादियों में इस प्रकार की सब्जियां बनती थीं जैसे कचालू,कचनार यानि कराले,सरसों का साग,सोयाबीन,कचालू के डंठल आदि शादी ब्याह में प्रमुख व्यंजन होते थे जिन्हें लोग पसंद करते थे.
आजकल है फेगड़े का मौसम
आजकल के दिनों में फेगड़े की सब्जी खाने का मौसम है. इसे स्यथानीय भाषा में भ्रूणी की सब्जी भी कहा जाता है. फेगड़ा एक छोटा पौधा होता है जिसके नरम पत्ते और कच्चे फल इकट्ठा कर लिए जाते हैं.
ऐसे बनाएं सब्जी
सबसे पहले इकट्ठा किए गए फेगड़े के कच्चे फल और नरम पत्तों को कुकर में उबाल लें. कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें गर्म मसाला,मिर्च, धनिया और प्याज को हल्की आंच में भूनें. उसके बाद टमाटर के साथ गरेबी बना लें . स्वादानुसार नमक,हल्दी डालें और कुछ देर तक भूनें. स्वाद बढ़ाने के लिए थोड़े मटर डालें और उन्हें थोड़ी देर तक पकाएं. उसके बाद उबले हुए फेगड़े की सब्जी को मिलाएं और करीब 10 से 15 मिनट तक पकाएं.आपकी मनपसंद फेगड़े की सब्जी खाने के लिए तैयार है.
फेगड़ा कढ़ी
अपने जायके को बदलने के लिए आप तैयार हुई सब्जी में दहीं या लस्सी मिला सकते हैं और राई के बीज जिसे स्थानीय भाषा में (आसरी) कहते हैं उसे पीस कर मिलाने से खुशबु और बढ़ जाती है. फेगड़ा कढ़ी को आप चावल के साथ परोस सकते हैं.
फायदे
फेगड़े की सब्जी खाने से शरीर की खारिश दूर होती है. यह रक्त को भी शुद्ध करती है.