शिमला : कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे में एनएचएआई को बड़ी सफलता मिली है। यहां दस मीटर हिस्से का विवाद खत्म हो गया है। रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डिवेलपमेंट कारपोरेशन (आरटीडीसी) जमीन देने को राजी हो गया है और इसके बाद अब बरसात से बर्बाद फोरलेन के दोबारा पूरी तरह बहाल होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
नेशनल हाईवे पर मंडी और कुल्लू के बीच कैंची मोड़ में पूरा नेशनल हाईवे धंस गया है। यहां सबसे नीचे बीबीएमबी का डैम है, इसके बाद नेशनल हाईवे और इसके ऊपर आरटीडीसी की जमीन है।
इस जमीन के ऊपर एक बार फिर नेशनल हाईवे गुजरता है। नेशनल हाईवे की इस कैंची के बीच में आरटीडीसी की रोपवे स्टेशन बिल्डिंग होने की वजह से यहां एनएच को दोबारा बहाल करना मुश्किल हो रहा था।
इस बारे में एनएचएआई ने पहले जिला प्रशासन और इसके बाद आरटीडीसी से मीटिंग की थी और बीते दिनों एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने आरटीडीसी के अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया।
इसके बाद जमीन के इस टुकड़े को एनएचएआई के हवाले करने पर हामी भर दी। अब एनएचएआई फोरलेन का निर्माण बिना किसी बाधा के पूरा कर रहा है, लेकिन अब भी यहां सबसे बड़ी दिक्कत डंगा लगाने की है।
कैंची मोड पर जहां सडक़ ध्वस्त हुई है, वहां की डैम से सडक़ की ऊंचाई करीब 30 मीटर है। इस डंगे को लगाने में एनएचएआई को करीब एक महीने का वक्त लग सकता है। ऐसे में कुल्लू दशहरा से पहले तक फोरलेन के इस हिस्से के बहाल होने की संभावनाएं भी फिलहाल कम हैं। (एचडीएम)
दो करोड़ रुपए देगा एनएचएआई
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे पर कैंची मोड़ का असर न पड़े, इसके लिए एनएचएआई ने पीडब्ल्यूडी को दो करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। पीडब्लयूडी इस बजट का इस्तेमाल कुल्लू तक पहुंचने वाले पुरानी सडक़ को बहाल करने में करेगा।
एनएचएआई ने विभाग के लिए जरूरत पडऩे पर एक करोड़ रुपए की राशि अतिरिक्त भी तय की है। इस राशि का इस्तेमाल भविष्य में किया जा सकता है।