HRTC ड्राइवर यूनियन का ऐलान, 6 मई तक एडवांस न मिला, तो नहीं करेंगे नाइट ओवरटाइम

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में 7 मई के बाद एचआरटीसी की रात्रि सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एचआरटीसी ड्राइवर यूनियन ने ऐलान कर दिया हैं कि अगर 7 मई को एचआरटीसी प्रबंधन व सरकार ड्राईवर कंडक्टरों को 3900 रुपए यानि एक महीने की नाइट ओवरटाइम की राशि एडवांस में दी जाती है, तभी एचआरटीसी चालक परिचालक रात्रि सेवाएं देंगे, नहीं तो नाइट ओवरटाइम नहीं किया जाएगा।

ऐसे में अगर एचआरटीसी ड्राइवर व कंडक्टर नाइट ओवरटाइम नहीं करते हैं तो फिर एचआरटीसी की रात्रि सेवाएं बंद हो सकती हैं।

शिमला में बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान एचआरटीसी ड्राइवर यूनियन के प्रधान मानसिंह ठाकुर ने कहा कि एचआरटीसी ड्राईवर यूनियन ने 10 अप्रैल को एचआरटीसी प्रबंधन को एडवांस नोटिस दिया था।

HRTC drivers union announced will not do night overtime if advance is not received by May 6

इसमें ड्राईवर यूनियन ने सपष्ट कर दिया था कि ड्राईवर कंडक्टर अब एडवांस पेमेंट पर ही नाइट ओवरटाइम करेंगे।

नोटिस में यह भी बता दिया गया था कि अगर 06 मई तक ड्राईवर कडंटरों को मई महीने की नाइट ओवरटाइम की 3900 रुपए की राशि प्रति ड्राईवर कंडक्टर नहीं दी जाती हैं तो वहीं नाइट ओवरटाइम नहीं करेंगे।

एडवांस नोटिस के बाद भी एचआरटीसी प्रंबंधन की ओर से उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। ऐसे में अगर 6 मई शाम 5 बजे तक उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया और एडवांस पेमेंट भी नहीं की गई, तो नाइट ओवर टाइम नहीं किया जाएगा।

इससे प्रदेश की जनता को जो परेशानी होगी, उसके लिए प्रदेश सरकार व एचआरटीसी प्रबंधन ही जिम्मेवार होगा।

6 मई को शाम 5 बजे तक अगर ड्राइवर यूनियन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया जात है, तो फिर 7 मई से ड्राइवर यूनियन को भी बात नहीं सुनेंगे।

मानसिंह ठाकुर कहना है कि एचआरटीसी के ड्राइवरों व कंडक्टरों को 41 महीने की नाइट ओवरटाइम की राशि देय है। यह राशि करीब 65 करोड़ रुपए के आसपास है।

इसके अलावा एचआरटीसी कर्मचारियों को 50,000 रुपए एरियर की पहली किस्त भी जारी नहीं गई है। न ही अभी तक डीए मिला है। इसके अलावा मेडिकल बिलों रिंबर्समेंट का भुगतान किया जाना भी अभी बाकी है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि कर्मचारियों को समय पर सैलरी तक नहीं मिल रही है। जिसके कारण कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । आर्थिक व मानसिक दोनो तरह से कर्मचारी परेशान है।

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