सूरज की रोशनी से जगमगाएगा हिमाचल का शीत मरुस्थल काजा

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हिमाचल के जिस शीत मरुस्थल काजा में 1000 मेगावाट के सोलर पार्क का सपना पूरा नहीं हो पाया, वहां पर दो मेगावाट क्षमता का सोलर प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।

काजा के लोगों को बिजली की सुचारू व्यवस्था करने के लिए बिजली बोर्ड और केंद्र सरकार के उपक्रम सोलर एनर्जी कारपोरेशन इंडिया के संयुक्त तत्त्वावधान में यहां सोलर प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू करने जा रहे हैं।

ऐसे में काजा के लोगों के घर अब सौर एनर्जी से जगमगाएंगे, क्योंकि यहां पर रात-दिन 24 घंटे बिजली की व्यवस्था रहेगी। काजा के लोगों को पहले भी सोलर एनर्जी के छोटे-छोटे प्लांट घरों में लगाने के लिए दिए गए हैं, मगर वे पूरी तरह से प्रभावी साबित नहीं हुए।

इसके अलावा बिजली बोर्ड ने इस क्षेत्र को रोशन करने के लिए दो मेगावाट का रौंगटोंग हाइड्रो प्रोजेक्ट भी बनाया है, मगर यहां से भी सुचारू बिजली की आपूर्ति में दिक्कत है।

बीच-बीच में यहां मौसम खराब होने के कारण बिजली उत्पादन नहीं हो पाता है।अब यहां पर दो मेगावाट का इसी के साथ सोलर प्रोजेक्ट लगाया गया है, जहां से रौंगटोंग की सप्लाई लाइन के जरिए ही बिजली काजा को पहुंचाई जाएगी।

यानी अब यहां से दो मेगावाट की बजाय चार मेगावाट बिजली आम दिनों में जाएगी और जब हाइड्रो प्रोजेक्ट में उत्पादन नहीं होगा, तो सोलर प्रोजेक्ट से दो ेमेगावाट की बिजली चालू रहेगी।

हिमाचल रिन्यूवल एनर्जी लिमिटेड कंपनी 50-50 फीसदी की भागीदारी में बनाई गई है, जिसे काजा परियोजना दी गई है। काजा में इससे पहले सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड को 100 मेगावाट का प्रोजेक्ट सौंपा गया था, मगर इसमें परेशानियां पेश आ रही हैं।

काजा का जो दो मेगावाट प्रोजेक्ट बनाया गया है उस पर कुल 16 करोड़ रुपए की लागत आई है। अब सीएम से उद्घाटन को समय ले लिया गया है। माना जा रहा है कि वह काजा में कुछ और भी सौगातें देंगे।

हिमाचल रिन्यूवल एनर्जी लिमिटेड कंपनी भी बनाई

काजा के दो मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट का निर्माण दो कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर ने किया है। इसके लिए बाकायदा हिमाचल रिन्यूवल एनर्जी लिमिटेड कंपनी का गठन किया गया है।

बिजली बोर्ड और केंद्र सरकार की सोलर एनर्जी कारपोरेशन इंडिया को मिलाकर यह कंपनी बनाई गई है। काजा के लिए यह रिसर्च प्रोजेक्ट था, जिसे अब पूरा किया गया है।

वर्ष 2015 में यह परियोजना दी गई थी लेकिन 2017 में इसका काम सौंपा गया। इसके बाद कंपनी ने काम नहीं किया और बीच में कोविड आ गया।

पिछले साल 2023 में बिजली बोर्ड को यह प्रोजेक्ट मिला। अब इसे पूरा कर दिया गया है। यह प्रोजेक्ट रांगरिक गांव में बनाया गया है।

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