हिमाचल प्रदेश में हर तीसरे साल में पड़ रही सूखे की मार

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हिमाचल की वादियों में सूखा किसानों-बागबानों के अरमान तोड़ता रहा है। राज्य में औसतन तीसरे साल सूखा पड़ जाता है। साल 2000 से लेकर अब तक आठ बार सूखे ने किसानों-बागबानों को हाथ मलने के लिए विवश कर दिया।

25 सालों में 8 बार पड़ा सूखा
हिमाचल ने बीते 25 सालों में 8 बार भंयकर सूखा देखा है। इसमें करोड़ों का नुकसान भी हुआ बावजूद इसके किसानों के पास बारिश के लिए आसमान को निहारने के अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है।

हिमाचल की 80 फीसदी लोग किसान हैं और आलम यह है कि बारिश ही इन फसलों की सिंचाई का सबसे बड़ा स्त्रोत है।

90 दिनों से नहीं बरसी एक भी बूँद
इस साल पड़े सूखे का बड़ा कारण बीते 90 दिनों से बारिश की एक बूंद का न बरसना रहा है। राज्य में दिसंबर तक 90 प्रतिशत से ज्यादा बारिश की कमी दर्ज की गई है। ऊपरी इलाकों में बर्फ गायब और निचले जिलों में खेत सूखे पड़े हैं।

कांगडा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, सोलन, सिरमौर जिलों सहित अन्य क्षेत्रों में केवल 20 प्रतिशत खेती में ही सिंचाई सुविधा है, बाकी बारिश को मोहताज हैं।

रबी फसलों में गेहूं, जौ व दालें की बुवाई तक रुक गई। किसानों को उपज में 20 से 30 प्रतिशत कमी का डर सता रहा है। वर्ष 2025 में अब तक का सबसे शुष्क दिसंबर रहा है। बीते 90 दिनों से बारिश की एक बूंद भी धरा पर नहीं गिरी है।

फसल बीमा से भरपाई
कृषि विभाग के उपनिदेशक राम चंद्र चौधरी ने बताया कि जो किसान फसल बीमा करवाते हैं उनके नुकसान की भरपाई तो हो जाती है, लेकिन जिन किसानों ने बीमा नहीं करवाया होता उनको कुछ नहीं मिल पाता है।

25 साल से झेल रहे सूखे की त्रासदी
साल 2000-2001 में पहली बार सूखे की बड़ी मार पड़ी। गेहूं-जौ सूख गए और 360 करोड़ का नुकसान हुआ। इस दौरान कांगड़ा और हमीरपुर के किसान रोते रह गए। साल 2002 में लगभग पूरे राज्य में सूखा पड़ा।

उपज 20 प्रतिशत घटी और 200-300 करोड़ गर्क हो गया। 2004 से 2009 तक बार-बार सूखा पड़ा। सूखे से 2006 में ही 366 करोड़ हानि हुई। 2021 में बारिश ना होने से 1.48 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई।

इसमें 130 करोड़ का नुकसान हुआ। 2024-2025 भी सूखे की चपेट में आ गया है। गेहूं की बुवाई प्रभावित, सेब की चिलिंग कम। सिरमौर में लहसुन सूखी, कांगड़ा में सरसों मुरझाई। मंडी में फसल बुआई अटक गई।

न्यू ईयर पर ‘व्हाइट’ गिफ्ट : 1 जनवरी को बर्फबारी के आसार
बर्फबारी को तरस रहे हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों शिमला, कुफरी और मनाली में एक बार फिर उम्मीद जगी है कि नए साल का आगाज बर्फ की सफेद चादर के साथ हो सकता है।

पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेश के मौसम में बदलाव दर्ज किया गया है। लाहुल-स्पीति, किन्नौर और चंबा जिला की ऊंची पर्वत श्रंखलाओं में गुरुवार रात से रुक-रुक कर बर्फ गिर रही है।

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