एसीसी सीमेंट फैक्टरी बरमाणा के साथ ही दाड़ला की अंबूजा फैक्टरी की तालाबंदी ने जिला बिलासपुर के पेट्रोल पंप सूखाकर रख दिए हैं। इन पंपों पर प्रतिदिन की सेल भी घटकर मात्र 25 फीसदी रह गई है।
ट्रक आपरेटरों की डीजल की उधारी का आंकड़ा 120 करोड़ के लगभग पहुंच चुका है। यही नहीं, पंपों पर कार्यरत वर्कशॉप में ट्रकों की रिपेयर इत्यादि की उधारी का पैसा भी लाखों में ट्रक आपरेटरों के पास फंसा हुआ है।
ऐसे हालात में पेट्रोल पंप संचालकों के समक्ष बड़ा आर्थिक संकट बना है। उन्हें बैंकों का 12 से 14 फीसदी ब्याज भी चुकता करना पड़ रहा है। इसके अलावा कर्मचारियों की सैलरी व अन्य खर्चों की अदायगी की समस्या ने भी पंप संचालकों की चिंता बढ़ा रखी है।
हिमाचल प्रदेश पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष सुकुमार सिंह ने पंप संचालकों के साथ आयोजित बैठक के बाद जानकारी देते हुए बताया कि फैक्टरी बंद होने की वजह से पेट्रोल पंप संचालकों का कारोबार ठप होकर रह गया है।
संचालकों की चिंता बढ़ती जा रही है और बीडीटीएस और पूर्व सैनिक निगम से जुड़े ट्रक आपरेटरों की डीजल की उधारी का पैसा भी वापस नहीं आ रहा। उन्हें बैंकों का ब्याज चुकता करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि बिलासपुर जिला में विभिन्न कंपनियों के लगभग 40 पेट्रोल पंप कार्यरत हैं, जहां ट्रक आपरेटर ट्रकों में डीजल भरवाते हैं। ज्यादातर पेट्रोल पंपों पर डीजल उधार पर ही लिया जाता है, जिसे महीने बाद ट्रक आपरेटर चुकता करते हैं।
उन्होंने बताया कि एसीसी सीमेंट फैक्टरी के अलावा अंबूजा व दाड़लाघाट सीमेंट फैक्टरियों के हजारों ट्रकों की आवाजाही पंजाब सहित अन्य राज्यों के लिए बिलासपुर जिला से होकर रहती है।
इसलिए सोलन व बिलासपुर जिलों के पेट्रोल पंपों का कारोबार बेहतर है, लेकिन पिछले 49 दिनों से बंद चल रही बरमाणा व दाड़लाघाट सीमेंट फैक्टरियों की वजह से ट्रक मालिकों के समक्ष एक बड़ा आर्थिक संकट पैदा हुआ है।
ट्रक खड़े हैं और उन्हें बैंकों से लिए गए लोन की किस्तों की अदायगी करने के लिए भी समस्या बनी है। (एचडीएम)