हिमाचल प्रदेश में मानसून से हो रही भारी तबाही के दृष्टिगत राज्य सरकार ने समयबद्ध तरीके से राहत और पुनर्वास कार्य सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा के नियमों में ढील देने का निर्णय लिया है।
इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की वास्तविक मांग के अनुरूप इन क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त बुनियादी अधोसंरचना की मरम्मत के लिए अतिरिक्त कार्य किए जा सकेंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भारी बारिश, अचानक बाढ़ और बादल फटने तथा भूस्खलन की घटनाओं के कारण राज्य को भारी नुकसान हुआ है। कृषि और बागबानी क्षेत्र, पशुधन और ग्रामीण अधोसंरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में पुनर्निर्माण कार्यों में गति लाने के लिए उपायुक्तों को ग्राम सभा की पूर्व स्वीकृति की प्रतीक्षा किए बिना मनरेगा के तहत नए कार्यों को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है।
खराब मौसम की स्थिति में ऐसी बैठकें आयोजित करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ग्राम सभा, पंचायत समिति और जिला परिषद से कार्योत्तर स्वीकृति बाद में प्राप्त की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उपायुक्त अब भूमि विकास परियोजनाओं सहित सभी श्रेणियों के कार्यों को स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे और इसके लिए प्रति ग्राम पंचायत 20 कार्यों की पूर्व सीमा में भी ढील दी गई है।
इसके अतिरिक्त भूमि विकास परियोजनाओं के व्यक्तिगत कार्यों के लिए वित्तीय सीमा को प्रति लाभार्थी एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल क्षतिग्रस्त ग्रामीण अधोसंरचना के पुनर्निर्माण में मदद मिलेगी, बल्कि इस चुनौतीपूर्ण समय में ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।