अगले साल हिमाचल में और सस्ती होगी बिजली

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हिमाचल में नए वित्त वर्ष यानी पहली अप्रैल, 2026 से बिजली के रेट और कम हो सकते हैं। इसकी वजह बिजली बोर्ड में वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए सुधार के कदम हैं। बोर्ड ने सस्ते लोन की तरफ कदम बढ़ाए हैं, इसलिए इंटरेस्ट रेट का लाभ टैरिफ में मिलेगा।

ट्रांसमिशन कॉस्ट में भी कमी आई है। आउटसोर्स भर्ती से कर्मचारी लागत में भी कमी आई है। हालांकि बोर्ड की पेंशन लागत बढ़ रही है।

राज्य बिजली बोर्ड की ओर से अगले साल का टैरिफ तय करने के लिए 29 नवंबर को विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की गई है।

याचिका पर 31 मार्च, 2026 से पहले नियामक आयोग ने फैसला देना है। याचिका दायर करने से पहले भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बारे में खुद रिपोर्ट ली थी।

सरकार नहीं चाहती कि अगले वित्त वर्ष में बिजली के रेट बढ़ें। हालांकि सबसिडी को लेकर अभी फैसला होगा।

प्रदेश में करीब 28 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। इसके अलावा व्यावसायिक उपभोक्ताओं की संख्या करीब दो लाख है। इनके लिए वर्तमान वर्ष के लिए 0-125 यूनिट तक बिजली निशुल्क है।

126-300 यूनिट तक 5.90 प्रति यूनिट टैरिफ है और इससे आगे फिर 6.76 प्रति यूनिट का रेट है। अब उम्मीद यह है कि या तो नए साल में यही रेट रहेगा या इससे भी कम होगा।

वहीं, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए घरेलू उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ में 15 पैसे प्रति यूनिट की कटौती की गई थी।

कर्मचारियों के वेतन से ज्यादा पेंशन का खर्च
बिजली बोर्ड में वर्तमान में करीब 13000 कर्मचारी हैं। आउटसोर्स को भी मिला दें, तो इनकी संख्या करीब 18,000 बनती है, जबकि पेंशनर 30,000 के करीब हैं।

बोर्ड में सैलरी का खर्चा करीब 900 करोड़ रुपए है, जबकि 2000 करोड़ के आसपास पेंशन बन रही है। इस लागत का असर बिजली टैरिफ पर भी पड़ता है।

बेचने से ज्यादा बिजली खरीदता है बोर्ड
राज्य विद्युत बोर्ड बिजली बेचने से ज्यादा बिजली खरीदता है। हर साल बिजली बोर्ड 12,771 मिलियन यूनिट बिजली बेचता है।

परियोजनाओं से आने वाली रॉयल्टी की बिजली अधिकतर इसमें शामिल है। इसके अलावा अपनी प्रोडक्शन भी है। साल में करीब 14,000 मिलियन यूनिट बिजली बोर्ड खरीद भी रहा है।

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