शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को पशुपालन विभाग की 1962 मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा का शुभारंभ किया। इसके तहत प्रथम चरण में 44 विकास खंडों में एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई हैं।
इस पर 7.04 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की गई है। इनमें से बिलासपुर, ऊना, सोलन व कुल्लू में तीन-तीन, लाहौल-स्पीति में दो, मंडी व शिमला में पांच, चंबा, सिरमौर व हमीरपुर में चार-चार, किन्नौर में एक तथा कांगड़ा जिला में सात मोबाइल एंबुलेंस उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने पशु संजीवनी कॉल सेंटर का शुभारंभ भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दोनों सेवाओं के आरंभ होने से प्रदेश के पशुपालक किसी भी कोने से टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर आपात स्थिति में गंभीर पशु रोगों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा सेवा अपने घरद्वार पर प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक एंबुलेंस के साथ एक पशु चिकित्सक तथा एक फार्मासिस्ट उपलब्ध होंगे। जब भी किसी पशुपालक को आपात स्थिति में मदद चाहिए होगी तो वह टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर सकेंगे और उन्हें नजदीकी पशु चिकित्सा सेवा के माध्यम से सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवा किसी भी कार्य दिवस पर सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में चरणबद्ध तरीके से इस सेवा का विस्तार किया जा रहा है।
सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार पशुपालकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए अनेक कदम उठा रही है। प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य है, जहां पर गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार जिला कांगड़ा के ढगवार में एक लाख 50 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता का दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने जा रही है।
इसकी क्षमता तीन लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती है। यह संयंत्र पूरी तरह से स्वचालित होगा। इस पर 226 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास कर रही है, क्योंकि गांव को आत्मनिर्भर बनाकर ही प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए कृषि क्षेत्र में अनेक योजनाएं आरंभ की हैं तथा किसानों को इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शानन परियोजना का पट्टा अवधि पूरी हो रही है और हिमाचल को उसका अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अपना पक्ष मजबूती के साथ रखेगी।
इस अवसर पर कृषि एवं पशु पालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, विधायक नीरज नैयर, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, पूर्व विधायक सतपाल रायजादा, निदेशक पशु पालन विभाग डॉ. प्रदीप शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।