देशभर में मनाई जाने वाली दिवाली के एक महीने बाद जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है, जिसे हाटी समुदाय के लोग बड़े हर्ष उल्लास के साथ कई वर्षों से मनाते आ रहे हैं। हिमाचल की इस परंपरा को गिरिपार के हाटी समुदाय के लोगों ने आज भी संजो कर रखा है।
देव परंपरा व पौराणिक मान्यता के अनुसार मशालें व अश्लील जुमलों से भूत-पिशाच भगाए गए। यहां बूढ़ी दीवाली हर साल मनाई जाती है।
एक वर्ष दिवाली चेत गांव और एक वर्ष डाहर में मनाई जाती है। इस वर्ष सराज के डाहर में यह धूमधाम के साथ मनाई गई।

इस पर्व की खास बात यह है कि इसमें क्षेत्र की पारंपरिक लोक संस्कृति की शानदार झलक देखने को मिलती है। इसमें अश्लील जुमले कसते हुए ढोल-नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने नृत्य किया और पुरानी परंपरा का निर्वहन किया।
बूढ़ी दीवाली में गांवों के लोगों के बीच लड़ाई भी होती है। गांवों के लोग मशालों से एक-दूसरे पर वार करते हैं। इस दौरान नियम का पालन करना जरूरी होता है।
अन्यथा व्यक्ति को दंडित किया जाता है। ऐसा दावा है कि इस लड़ाई में किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आती है और न ही किसी व्यक्ति के कपड़े जलते हैं। इस दौरान देवता की शक्तियां साथ होती हैं।