विजिलेंस ने प्रदेश भर में भ्रष्ट एवं रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कस दिया है। विजिलेंस ने प्रदेश में पांच साल में रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 86 मामले दर्ज किए हैं।
विजिलेंस ने इन केसों में करीब 91 लाख 25 हजार रुपए से अधिक राशि बरामद की है। इसके अलावा विजिलेंस ने आय से संपत्ति के मामले में भी छह मामले दर्ज किए हैं। अभी हाल ही में विजिलेंस ने जेओए आईटी पेपर लीक का बड़ा मामला पकड़ा है।
कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के पेपर लीक मामले में विजिलेंस ने आरोपियों से करीब 20 लाख रुपए की राशि बरामद की है।
विजिलेंस ने प्रदेश भर में पांच साल में अब तक रिश्वतखोरी, आय से अधिक संपत्ति, एनडीपीएस एक्ट और एक्साइज एक्ट सहित अलग-अलग मामलों में 242 मामले दर्ज किए हैं।
अगर बात की जाए वर्ष 2023 की, तो शुरुआत में विजिलेंस ने रिश्वतखोरी के दो मामले पकड़े हैं। इसमें शिमला डीसी आफिस में विजिलेंस ने एक अधिकारी को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।
इसके अलावा नालागढ़ में भी राजस्व विभाग के एक कर्मचारी को छह हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। इसके अलावा पांच साल में दर्ज किए गए 240 मामले दर्ज किए गए हैं।
इसमें वर्ष 2018 में 28, 2019 में 61, 2020 में 48, 2021 में 42 और 2022 में 61 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में रिश्वतखोरी के 84 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 70 लाख 19 हजार 36 रुपए बरामद किए हैं।
इसके अलावा एनडीपीएस एक्ट के तहत 12, एक्साइज एक्ट के तहत तीन, हिमाचल प्रदेश प्रिवेंशन ऑफ स्पेसिफिक करप्ट प्रैक्टिस एक्ट के तहत 47, आय से अधिक संपत्ती के छह और 88 अन्य मामले दर्ज किए गए हैं। (एचडीएम)
गुप्त रखा जाएगा सूचना देने वाले का नाम
उधर, एडीजी विजिलेंस सतवंत अटवाल त्रिवेदी का कहना है कि भ्रष्ट एवं रिश्वतखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी किसी काम के बदले पैसों की या फिर कोई अन्य मांग करता है, तो उसकी सूचना विजिलेंस कार्यालय में दें। एडीजी ने कहा कि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।