शिमला : हाई कोर्ट में चल रहे केस के बीच हिमाचल सरकार ने 173 विद्युत उत्पादक कंपनियों को 871 करोड़ के वाटर सेस का नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस वाटर सेस कमीशन की तरफ से दिया गया।
जल उपकर का यह बिल मार्च 2023 से जुलाई 2023 तक के पांच महीनों का है। नोटिस में कहा गया है कि अगले 10 दिन में कंपनियां वाटर सेस कमीशन की तरफ से दिए गए बैंक खातों में इस पैसे को जमा करवाए।
ऊर्जा कंपनियों को इस भुगतान को करने के लिए दिसंबर 2023 तक तीन किस्तें चुनने का विकल्प भी दिया गया है। गौरतलब है कि राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी पर जल उपकर लगाने का फैसला किया था और इसके लिए बाकायदा कानून बनाया गया है। इस फैसले के खिलाफ भारत सरकार के कई उपक्रम हाई कोर्ट गए हैं।
हालांकि 173 बिजली कंपनियों में से 135 बिजली कंपनियों ने वाटर सेस कमीशन में खुद को रजिस्टर करवा लिया था, लेकिन भारत सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक पैसा भरने से रोक रही है और हाई कोर्ट में भी इस फैसले का विरोध किया जा रहा है।
पिछली सुनवाई के दौरान भी केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लडऩा चाहती है। हालांकि अभी तक इससे आगे कोई बात नहीं हुई है। इधर, राज्य सरकार हर साल 2000 करोड़ अतिरिक्त राजस्व जल उपकर के माध्यम से कमाना चाहती है।
यदि पांच महीने का बिल 871 करोड़ का बन रहा है, तो एक साल में इतना पैसा आने की उम्मीद भी है। हाई कोर्ट में मामला जाने के बावजूद अभी तक बिजली कंपनियों को कोई फौरन राहत या स्टे नहीं मिला है।
यही सबसे बड़ा कारण है कि राज्य सरकार ने वाटर सेस कमीशन बनने के बाद यह बिल जारी कर दिए। इससे पहले जल उपकर के रेट को भी पहले से आधा कर दिया था। अब यह उत्तराखंड के मुकाबले दो गुना है।
हिमाचल सरकार ने जल उपकर लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश वाटरसेस हाइड्रो पावर जेनरेशन एक्ट 2023 बनाया हुआ है। इसी को सार्वजनिक उपक्रम कंपनियों ने हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है।