प्रदेश सरकार खुद चलाएगी बागबानी विकास परियोजना

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हिमाचल प्रदेश में सालों से चल रही बागबानी विकास परियोजना अब खत्म हो गई है। अब खुद सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगी। इस प्रोजेक्ट में सेब उत्पादकों को बड़ी राहत दी गई है और प्रोजेक्ट के बूते सरकार ने सेब बहुल क्षेत्रों व सेब उत्पादकों के लिए कई अहम काम किए हैं।

विश्व बैंक से मिली इस परियोजना को दो बार एक्सटेंशन भी मिली थी। दूसरी बार एक्सटेंशन के बाद बुधवार को यह प्रोजेक्ट खत्म हो गया है, जिसे यहां बंद कर दिया गया है।

आखिर में जो 50 करोड़ रुपए की शेष राशि बची थी, उसे खर्च किया जा चुका है और पूरे पैसे का इस्तेमाल प्रोजेक्ट में किया गया है। पहले यह परियोजना 1130 करोड़ रुपए की थी, लेकिन बाद में यह 880 करोड़ रुपए तक रह गई, क्योंकि इसमें कुछ देरी भी हुई है और समय पर सभी काम नहीं हुए।

यह परियोजना विवादों में रही और इसमें सेब के पौधों के खराब निकलने के साथ बागवानों को इनका ज्यादा दाम लगा, जिससे कई तरह के विवाद खड़े हुए। अंतत: यह परियोजना पूरी हो चुकी है और इस परियोजना के तहत कई महत्त्वपूर्ण काम यहां पर किए गए हैं।

यहां पर सेब बागबानों के लिए नई मंडियां तैयार की गई हैं, जिसमें करोड़ों रुपए का खर्च किया गया और इसका पूरा लाभ भी बागबानों को मिल रहा है। इस सेब सीजन की बात करें, तो प्रोजेक्ट के तहत जो नई मंडियां बनी थीं, वहां पर अच्छा कारोबार हुआ।

खासकर पराला मंडी की बात करें, तो यहां पर दो चरणों में काम हुआ है और यहां सबसे ज्यादा सेब का व्यापार इस बार पराला में ही किया गया। एचपीएमसी ने पराला मंडी के साथ अपना फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर भी इसी पैसे से बनाया है, जहां पर अब 38 हजार मीट्रिक टन सेब का एप्पल कंसेंट्रेट बनाने की क्षमता हो चुकी है।

इसके साथ दो अन्य स्थानों पर भी सेब की प्रोसेसिंग के लिए यूनिट स्थापित किए गए हैं। बागबानों को पहले इटली और फिर अमरीका के सेब पौधे बांटे गए हैं।

यहां पर सेब की नई पौध तैयार करने का महत्वपूर्ण काम इसी प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। बहरहाल अब प्रोजेक्ट खत्म हो गया है और इसकी कंपलीशन रिपोर्ट वल्र्ड बैंक को भेजी जाएगी। इसमें प्रोजेक्ट की विस्तार से सूचना दी जाएगी।

500 आउटसोर्स कर्मचारियों से छिना रोजगार

यह परियोजना क्योंकि बाह्य सहायता प्राप्त एजेंसी के माध्यम से चली थी, लिहाजा इसमें आउटसोर्स के आधार पर लगभग 500 से ज्यादा कर्मचारियों को रखा गया था, मगर अब प्रोजेक्ट बंद होने के साथ उनका भी रोजगार छिन गया है।

ऐसे में यह कर्मचारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके रोजगार को कायम रखा जाए। इस पर मामला अदालत में चला गया है और हाई कोर्ट से अभी तक फैसले का इंतजार है।

इस बीच बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी से ये लोग मिले हैं जिन्होंने आश्वासन दिया है। ऐसे में अब आगे क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता।

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