मस्जिद का अवैध ढांचा तोड़ने का काम शुरू होने के बीच हाई कोर्ट ने जारी किए यह आदेश

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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने संजौली मस्जिद के पूरे ढांचे की वैधता पर अंतिम फैसला 8 सप्ताह के भीतर करने के आदेश जारी किए।

इस मामले के जल्द निपटारे के लिए संजौली के स्थानीय निवासियों की ओर से याचिका दायर की गई थी। यह मामला नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत में लंबित है। याचिका के माध्यम से नगर निगम आयुक्त को मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने के आदेश जारी करने की मांग की गई थी।

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात सभी पक्षों की सहमति से इस याचिका का निपटारा करते हुए नगर निगम आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर मस्जिद से जुड़ी 2010 की शिकायत का निपटारा करने के आदेश दिए।

इस शिकायत में खुद एम सी शिमला शिकायतकर्ता है। पांच अक्टूबर को नगर निगम शिमला की आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड के आवेदन पर संजौली में पांच मंजिला मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें गिराने की अनुमति दी थी।

हाईकोर्ट में नगर निगम शिमला की ओर से निगम आयुक्त के ढांचा गिराने संबंधी आदेशों का हवाला देते हुए स्थानीय निवासियों की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की मांग की थी।

इस मांग को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के शीघ्र निपटारे की मांग पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

कोर्ट ने निगम आयुक्त को सभी पक्षों को सुनकर फैसला देने के आदेश दिए। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया था कि वर्ष 2010 से लंबित इस मामले में स्थानीय लोगों ने धरातल से ही इस मस्जिद के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई थी।

उन्होंने निगम के स्थानीय कनिष्ठ अभियंता के समक्ष शिकायत की थी। जिसके बाद सलीम टेलर को नोटिस जारी कर मामले को लटकाने की कोशिश की गई क्योंकि उसका इस निर्माण से कोई लेना देना नहीं था।

इस बीच यह इमारत 5 मंजिला बना दी गई। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह मामला पिछले 14 वर्षों से आयुक्त कोर्ट में अटका हुआ है।

अभी भी इसकी धरातल से जुड़ी मंजिलों पर आयुक्त कोर्ट के समक्ष मामला लंबित है। प्रार्थियों का कहना है कि नगर निगम अधिनियम के तहत ऐसे मामलों का निपटारा 6 माह के भीतर हो जाना चाहिए परंतु इस मामले में 14 साल से अधिक का समय लग गया है

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