हिमाचल में पर्यावरण के संकट से पूरे हिमालयन क्षेत्र को खतरा

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हिमाचल में पारिस्थितिक और पर्यावरणीय स्थिति का मुद्दा केवल इस राज्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करता है।

सुप्रीम कोर्ट हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने 23 सितंबर को इस मामले में अपना आदेश पारित करने की बात कही।

अदालत ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में इस बार बहुत अधिक नुकसान हुआ हैं। यह मुद्दा केवल हिमाचल प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करेगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार की रिपोर्ट की समीक्षा की, जिसमें वृक्ष आवरण, खनन, ग्लेशियर आदि से जुड़े कई पहलुओं को शामिल किया गया था। राज्य सरकार ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर बीते 25 अगस्त को सौंपी।

राज्य सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश में ग्लेशियरों की संख्या में कमी आई है, जो जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि राज्य में बादल फटने, अचानक बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाओं में इजाफा हुआ हैं। हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स शायद राज्य में विनाश का मुख्य कारण नहीं हैं।

बता दें कि गत 28 जुलाई की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि हिमाचल में निर्माण कार्य और विकास योजनाएं इसी तरह बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण के चलती रहीं, तो वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल देश के नक्शे से गायब हो जाएगा, भगवान करे कि ऐसा न हो।

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