किरतपुर-नेरचौक फोरलेन की मूल अलाइनमेंट में किए गए बदलाव में शामिल अफसरों पर गाज गिर सकती है। अलाइनमेंट में किए बदलाव की जांच करवाकर इसकी गोपनीय रिपोर्ट मंडलायुक्त मंडल मंडी ने 4 अप्रैल को प्रधान सचिव राजस्व को भेज दी है।
उपरोक्त परियोजना की मूल अलाइनमेंट को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना बड़े स्तर पर बदल दिया था।
पर्यावरण मंत्रालय फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के शिकायत पत्र की लगातार सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांग रहा था, लेकिन राज्य सरकार मंत्रालय को कोई सहयोग नहीं कर रही थी, जिस पर मंत्रालय ने 2020 में 1,818 करोड़ की परियोजना को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया था।
इसके बाद परियोजना निदेशक मंडी ने बिलासपुर और मंडी के उपायुक्तों से बदलाव की जांच करने का आग्रह किया। मात्र दो हफ्तों में दोनों उपायुक्तों की अध्यक्षता में बनी कमेटियों ने रिपोर्ट सरकार को भेजी।
इस रिपोर्ट में कहा था कि सात जगह छोड़ कहीं भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस पर मंत्रालय ने इन रिपोर्टों को आधार बनाकर पहले ब्राउन फील्ड और फिर ग्रीन फील्ड में काम करने की अनुमति सशर्त प्रदान की थी।
पर्यावरण मंत्रालय की शर्तों में परियोजना की अलाइनमेंट में मनमर्जी से हुए बदलाव पर कोताही बरतने वाले अफसरों, पेड़ों की जांच की रिपोर्ट पर मंत्रालय ने कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी।
इसके बाद हाईवे अथाॅरिटी ने एक शर्त पूरा करने के लिए करीब दो करोड़ का जुर्माना वन विभाग को दिया। मुख्य अरण्यपाल बिलासपुर ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन कर डीएफओ हेडक्वार्टर से रिपोर्ट मांगी थी।
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि आठ माह बीतने पर भी कोई कार्रवाई न होने पर समिति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिस पर दो महीने के भीतर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का आश्वासन मिला था।
मुख्य अरण्यपाल बिलासपुर ने वन विभाग के कुल 13 अधिकारियों व दो हाईवे अथाॅरिटी के अधिकारियों को शामिल कर प्रधान सचिव फोरेस्ट काे अवगत करवाया कि राजस्व विभाग के अधिकारी भी इस अनियमितता में शामिल हैं।
इस पर प्रधान सचिव वन ने प्रधान सचिव राजस्व को उचित कार्रवाई करने के बारे में लिखा। प्रधान सचिव राजस्व ने मंडलायुक्त मंडल मंडी से जांच की मांग की थी, जिस पर यह कार्रवाई हुई है।
मंडलायुक्त मंडी राखिल काहलों ने पत्र संख्या सीओएमएमआर-एमएनडी-एनएचएआई-इन्क्वायरी(रिपोर्ट)-2092 में लिखा है कि रिपोर्ट प्रधान सचिव राजस्व सरकार हिमाचल प्रदेश को भेज दी गई है। पत्र पर लिखा है कि यह रिपोर्ट गोपनीय है।