मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को अपने कांगड़ा प्रवास के दौरान साफ शब्दों में कहा कि उनकी प्राथमिकता आपदा प्रभावितों को राहत मुहैया करवाना है। फिलहाल जल्दबाजी में पंचायतों के चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं।
प्रदेश में डिस्जाटर एक्ट लगा है और अभी तक हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें भी पूरी तरह से नहीं खुल पाई हैं। ऐसे में मतदाताओं के अधिकार को नहीं छीना जा सकता है। सड़कें खुल जाएंगी और हालात सामान्य होंगे, तभीे चुनाव भी हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा पंचायत और स्थानीय निकायों की संरचना, वर्गीकरण या सीमाओं में कोई भी बदलाव रोकने संबंधी नोटिफिकेशन पर कानूनी राय लेने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार ने मानसून के दौरान निजी और सरकारी संपत्तियों को हुए व्यापक नुकसान का हवाला देते हुए, चुनाव आयोग से पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों को तब तक टालने की मांग की थी, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि दिसंबर में चुनाव कराना संभव नहीं होगा, क्योंकि अधिकारी इस समय आपदा के बाद राहत कार्यों में व्यस्त हैं। इसके अलावा, राज्य के कई हिस्से बर्फबारी से प्रभावित होंगे। सुक्खू ने कहा कि आपदा कानून लागू किया गया है।
मेरी प्राथमिक जिम्मेदारी आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाना है। राहत कार्यों के पूरा होने के बाद, पंचायतों में सडक़ें खोली जाएंगी।
इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम अपने काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम नए पंचायत सीमाओं और पुनर्गठन की कानूनी जांच कर रहे हैं और इसके बाद कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य में चुनाव होंगे, लेकिन इसके लिए सही समय और परिस्थिति का आकलन किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए आयोग की ओर से की गई कार्रवाई और सरकार के राहत कार्यों को ध्यान में रखते हुए, पंचायत चुनावों के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव संजय गुप्ता को पत्र लिखकर कहा है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत आठ अक्तूबर, 2025 को जारी किए गए पत्र को तुरंत वापस लिया जाए।
इस पत्र के जरिए राज्य सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के आधार पर कहा था कि पहले आपदा प्रभावितों के पुनर्वास का काम किया जाएगा, उसके बाद चुनाव का काम होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव की ओर से मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राज्य में सामान्य गतिविधियां चल रही हैं। जिला प्रशासन मेलों का आयोजन कर रहा है और जिन शिक्षण संस्थानों में पोलिंग बूथ लगे हैं, वेे सामान्य फंक्शन कर रहे हैं।
दैनिक गतिविधियां भी बिना किसी बाधा के चल रही हैं। कुछ क्षेत्रों में सडक़ें प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन इसका चुनाव पर असर नहीं है, इसलिए चुनाव को करवाने के लिए डिजास्टर एक्ट को हटाना जरूरी है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने 15 नवंबर को इन्हीं बातों पर चर्चा करने के लिए अधिकारी बुलाए थे, जो बैठक में नहीं आए। राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 243 का हवाला देते हुए कहा है कि चुनाव करवाना राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है।
पंचायतों का वर्तमान कार्यकाल खत्म होने से पहले यह प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश केस में कहा है कि संविधान में पंचायती राज चुनाव से संबंधित मैंडेट किसी को वायलेट करने का अधिकार नहीं है।
यदि आपदा के बाद राज्य में ऐसी आपात स्थिति होती, तो इस बारे में राज्य सरकार राज्य चुनाव आयोग को भी पत्र भेज सकती थी और आयोग उसे कंसीडर कर सकता था।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि आठ अक्तूबर, 2025 को डिजास्टर एक्ट के तहत जारी किया गया ऑर्डर क्षेत्राधिकार से बाहर का है।




























