शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने पंप स्टोरेज परियोजनाओं (PSP) के तकनीकी रूप से उन्नत क्षेत्र में कदम रखने का निर्णय लिया है। ये परियोजनाएं सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से बिजली आपूर्ति को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में पहली दो ऐसी परियोजनाओं, सिरमौर जिला की 1630 मेगावाट की रेणुका जी पंप स्टोरेज परियोजना और मंडी जिला के ब्यास बेसिन में 270 मेगावाट की थाना प्लौन पंप स्टोरेज परियोजना को हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को आवंटित करने को मंजूरी दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए आदर्श राज्य है। प्रदेश की भौगोलिक स्थितियां इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए वरदान हैं। ये परियोजनाएं ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करेगी, क्योंकि इनमें टर्बाइनों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए संग्रहित पानी से बिजली का उत्पादन करके निर्बाध बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
कैसे काम करेगी पंप स्टोरेज परियोजना
पंप स्टोरेज परियोजना प्रणाली में ऑफ-पीक समय के दौरान कम लागत वाली बिजली का उपयोग करके नीचे स्थित जलाशयों से ऊंचाई वाले जलाशय में पानी पंप किया जाता है।
बिजली की मांग बढ़ने के साथ-साथ संग्रहित पानी से टर्बाइनों के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाता है। उन्होंने कहा कि दोनों परियोजनाओं पर काम पहले से ही चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की स्वर्ण जयंती नीति, 2021 पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास को प्राथमिकता प्रदान करती है।
इसके अन्तर्गत चिन्हित की गई पीएसपी के लिए प्रस्ताव, पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट के साथ, हर छह महीने में आमंत्रित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के ये प्रयास हाइड्रो परियोजनाओं के माध्यम से राजस्व बढ़ाने और हिमाचल प्रदेश को एक समृद्ध राज्य के रूप में स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।
सतलुज जल विद्युत निगम ने 2,570 मेगावाट की कुल क्षमता वाली चार पंप स्टोरेज परियोजनाओं की पहचान की है।
भाखड़ा बांध प्रबन्धन बोर्ड ने 13,103 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली आठ परियोजनाओं, नेशनल थर्मल पावर कारर्पोरेशन लिमिटेड ने 2,400 मेगावाट की कुल क्षमता वाली दो परियोजनाओं, निजी क्षेत्र में 2,074 मेगावाट क्षमता की सात परियोजनाओं की और हिमाचल प्रदेश पावर कारर्पोरेशन लिमिटेड ने राज्य में 1,900 मेगावाट की संभावित क्षमता वाली दो परियोजनाओं की पहचान की है।