हिमाचल में बुधवार को भारी बारिश का ऑरैंज अलर्ट

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हिमाचल मानसून जमकर बरस रहा है। प्रदेशभर में लगातार भारी बारिश ने पूरे प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। वहीं बुधवार 3 सितम्बर को भी पूरे प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट रहेगा।

इसके बाद प्रदेशभर में बारिश तो होगी लेकिन मौसम विभाग ने बारिश को लेकर किसी भी प्रकार चेतावनी जारी नहीं की है। 4 से 6 सितम्बर तक प्रदेशभर में कुछेक हिस्सों में बारिश का क्रम जारी रहेगा।

वहीं इस दौरान प्रदेश में मौसम साफ रहने की संभावना भी विभाग ने जताई है। वहीं मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बिलासपुर जिले के नैना देवी में 198 मिलीमीटर सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई।

शिमला जिले के रोहड़ू में 80, जोत में 61, बाग्गी में 58, कुकुमसेरी में 55, नादौन में 53, ओलिंदा में 50, नंगल डैम व ऊना में 49-49, भुंतर व सराहन में 47-47, बंजार में 42 और बिलासपुर में 40 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 3 नैशनल हाईवे और 1334 सड़कें अवरुद्ध पड़ी हैं। इनमें मंडी जिले में 281, शिमला में 255, चम्बा में 239, सिरमौर में 139 और सोलन में 46 सड़कें बंद हैं।

2180 ट्रांसफार्मर में बिजली ठप्प, अंधेरे में कई गांव
भारी बारिश से बिजली आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। पूरे प्रदेश में 2180 ट्रांसफार्मर बंद हो गए हैं।

शिमला जिले में 302, सिरमौर में 443, मंडी में 373, सोलन में 191, चम्बा में 207 और हमीरपुर में 129 ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं। पेयजल योजनाओं की स्थिति भी गंभीर है। प्रदेश में कुल 777 योजनाएं प्रभावित हुई हैं।

मनाली की पहाड़ियों पर बर्फबारी से बढ़ी ठंड
मनाली और आसपास की घाटी में लगातार बारिश का दौर जारी है। ओल्ड मनाली में बहने वाला मनालसू नाला फिर से उफान पर आ गया है।

प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने की अपील की है। वहीं मनाली की ऊंची चोटियों पर ताजा हल्की बर्फबारी दर्ज की गई है। इससे घाटी का तापमान गिरा है और मौसम सर्द हो गया है।
मानसून सीजन में 327 मौतें, कई लापता

प्रदेश सरकार ने लगातार हो रही तबाही को देखते हुए हिमाचल को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया है। मानसून सीजन में अब तक 327 लोगों की मौत हो चुकी है, 41 लोग लापता हैं और 385 लोग घायल हुए हैं।

पूरे राज्य में 4196 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से 863 पूरी तरह ढह गए हैं। इसके अलावा 471 दुकानें और 3813 गौशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। सार्वजनिक संपत्ति को अब तक 3158 करोड़ रुपए का नुक्सान आंका गया है।

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