अब कान्वेंट स्कूलों में पढ़ेंगे गरीबों के बच्चे

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हिमाचल प्रदेश में राइट टू एजुकेशन के प्रावधानों के तहत निजी अथवा कान्वेंट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को नियमों के अनुसार प्रवेश देना होगा। राइट टू एजुकेशन के प्रावधानों के तहत आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के बच्चों को प्रवेश में 25 फीसदी कोटा तय है।

यह देखा गया है कि अकसर निजी स्कूल इन प्रावधानों की अवहेलना करते हैं, लेकिन अब ऐसा करना स्कूल प्रबंधन को भारी पड़ेगा।

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने राज्यपाल के निर्देश पर आरटीई के उपरोक्त प्रावधान को लागू किया जाना सुनिश्चित करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में चेयरमैन सहित मेंबर सेक्रेटरी व सदस्य शामिल हैं।

शिक्षा सचिव राकेश कंवर की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार स्कूल शिक्षा के संबंधित जिला के सीनियर मोस्ट डिप्टी डायरेक्टर कमेटी के चेयरमैन होंगे।

इसके अलावा संबंधित जिला में शिक्षा खंड के ब्लॉक एलीमेंटरी एजुकेशन ऑफिसर सदस्य सचिव होंगे। बाकी सदस्यों में संबंधित जिला के स्कूल शिक्षा के डिप्टी डायरेक्टर, स्थानीय ग्राम पंचायत अथवा लोकल अर्बन बॉडीज के निर्वाचित जनप्रतिनिधि, नजदीकी सरकारी स्कूल की स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के प्रधान, संबंधित निजी स्कूल के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके साथ ही आवश्यकता पडऩे पर स्कूल एजूकेशन के निदेशक एक और सदस्य को नामांकित कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि राइट टू एजुकेशन अधिनियम-2009 के सेक्शन 12 में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को कान्वेंट स्कूलों में प्रवेश के लिए 25 फीसदी कोटा तय है।

कमेटी के गठन के साथ ही स्कूल शिक्षा निदेशक ने इस बारे में स्कूल एजूकेशन के सभी डिप्टी डायरेक्टर्स को सूचित कर दिया है। सभी जिलों में स्कूल शिक्षा के डिप्टी डायरेक्टर आरटीई के उक्त प्रावधान को लागू करना सुनिश्चित करेंगे। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में करीब 2800 निजी स्कूल हैं।

उनमें कम से कम 19 हजार सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित होंगी। राज्य सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे राइट टू एजुकेशन के प्रावधानों को लागू करे। निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए रिजर्व रहने पर ट्यूशन फीस व अन्य शुल्क राज्य सरकार को चुकाने होते हैं।

एक बार ये मामला हाईकोर्ट में भी गया था, लेकिन अदालत से भी आरटीई के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए थे। राज्य सरकार ने 30 अगस्त, 2016 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रार्थी नमिता मानिकटाला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि इस अधिनियम का पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है।

उस समय हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए थे कि आरटीई के प्रावधानों को सख्ती से लागू करे न कि दिखावा किया जाए।

अदालत ने आदेश जारी किए थे कि कमजोर वर्ग के छात्रों को प्रवेश के लिए कम से कम 30 दिन का समय दें। साथ ही आम जनता को आरटीई के प्रावधानों के तहत 25 फीसदी सीटों की जानकारी से जुड़े पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के आदेश भी दिए हुए हैं।

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