ई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत सरकार ने प्राथमिक शिक्षा में पॉलिसी लेवल पर कई बदलावों की बात की थी। एनईपी में आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूलों का रोल स्पष्ट किया गया है। इसमें पहली कक्षा में दाखिले की उम्र छह साल तय करने की बात की गई है।
नई शिक्षा नीति को देश भर में लागू करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय समय समय पर पहल कर रहा है। इसी क्रम में बुधवार को शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल तय करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार, मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच साल के सीखने के अवसर शामिल हैं, जिसमें तीन साल की प्री स्कूल एजुकेशन और फिर कक्षा 1 और 2 शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिक्षा नीति इस प्रकार प्री-स्कूल से कक्षा दो तक के बच्चों के निर्बाध सीखने और विकास को बढ़ावा देती है।
यह केवल आंगनबाडिय़ों या सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और एनजीओ में पढऩे वाले सभी बच्चों के लिए तीन साल की गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूल शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे प्रवेश के लिए छात्र की आयु सीमा को नई शिक्षानीति के अनुरूप तय करें।
बच्चे को छह वर्ष या उससे अधिक की आयु में कक्षा एक में प्रवेश प्रदान करें। बता दें कि केंद्रीय स्कूलों के अलावा कई राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र पहले से ही छह साल रखी गई है।
वहीं कई राज्यों में ये पांच या साढ़े पांच साल रखा गया है। अब इस नए बदलाव को राज्य स्तर पर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है।
प्ले स्कूल के लिए राज्य शुरू करें डिप्लोमा कोर्स
स्कूली शिक्षा में प्ले स्कूल के शामिल होने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश भी दिया है कि वह अपने यहां प्ले स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करें।
इसे लेकर वह राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ( एससीईआरटी) और डायट ( जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) के जरिए दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का सुझाव दिया है।
मौजूदा समय में स्कूलों में प्ले स्कूल के स्तर पर पढ़ाने के लिए कोई प्रशिक्षण कोर्स नहीं संचालित होता है।