वर्ष भर में कुल 25 एकादशी आती हैं. इन सब एकादशियों में सबसे अधिक पुण्य प्रभाव ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का होता है. एकादशी के अवसर पर व्रत,पूजा -पाठ अथवा दान इत्यादि करने से मनुष्यों को जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग शर्बत या मीठे पानी की छबीलें भी लगाते हैं. इस साल यानी सन 2022 में यह 10 जून को है।
व्रत
निर्जला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है. व्रत करने वाले प्राणी को मृत्यु के समय शारीरिक और मानसिक कष्ट नहीं होता है. पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल की एकादशी के दिन व्रत करने से सभी तीर्थों में स्नान करने के समान पुण्य मिलता है. इस दिन दान करने वाला प्राणी परम पद की प्राप्ति करता है.
दान
इस दिन शर्बत,अन्न वस्त्र, जौ,गाय,जल ,छाता,जूता आदि का दान देना शुभ माना जाता है.देवी देवताओं को इस दिन छत्र चढ़ाना अति पुण्य दायी है. मीठे पानी या शर्बत की छबील लगाएँ,और सामर्थ्य के अनुसार शर्बत,दूध,चीनी आदि का दान करें.
व्रत विधि
एकादशी के दिन स्नानादि के उपरांत वेदी पर एक जल से भरा कलश रख कर उसके ढक्कन पर नारियल तथा दक्षिणा रखकर भगवान विष्णु जी की ‘ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र के साथ षोडषोपचार पूजा करें.
व्रत का पारण
एकादशी व्रत के अगले दिन द्वादशी सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. 3 जून को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से लेकर 8 बजकर 10 मिनट के अंदर व्रत का पारण किया जा सकता है.