शिमला: हिमाचल में नेशनल हाईवे का ज्यादातर हिस्सा अब सुरंगों के माध्यम से गुजरेगा। एनएचएआई सुरंग निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर दिया है और एनएच पर सुरंगों का प्लान भी तैयार हो चुका है।
इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी एनएचएआई को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। दिल्ली में हुई देश भर के क्षेत्रीय अधिकारियों की बैठक में हिमालयी क्षेत्रों के लिए यह खास तैयारी करने का फैसला किया गया है।
साथ ही बरसात से क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत भी जल्द से जल्द करने की बात कही गई है। इन निर्देशों के बाद नेशनल हाईवे पर एनएचएआई करीब आधा दर्जन से अधिक अतिरिक्त सुरंगों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।
शिमला-मटौर एनएच में बिलासपुर से शालाघाट तक के हिस्से में भी अब बदलाव की संभावनाएं देखी जा रही हैं, जबकि कालका-शिमला एनएच पर कैंथलीघाट से ढली के बीच एनएचएआई ने पहले ही सुरंगों और ऊंचे पुलों का प्रावधान कर दिया है।
जिन क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन हो रहा है, वहां भी विकल्प की तलाश की जा रही है। एनएचएआई ने कीरतपुर-मनाली एनएच को जल्द बहाल करने का प्रारूप भी तैयार किया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने जिन तीन सुरंगों का प्रस्ताव एनएचएआई को दिया है, उस पर भी विचार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की रजामंदी के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने चंबा में चुवाड़ी-जोत और कांगड़ा में बरोट से लग वैली टनल समेत एक अन्य सुरंग निर्माण की बात कही है।
अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस संबंध में कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि बरसात से बर्बाद हो चुके एनएच को बहाल करने पर जोर दिया जा रहा है।
एनएचएआई ने पहाड़ों में बार-बार भूस्खलन को रोकने के लिए अब सुरंग निर्माण का फैसला किया है। प्रदेश में कितनी सुरंगों का निर्माण होगा, फिलहाल इसका आकलन किया जा रहा है।
खास बात यह है कि इस क्रम में एनएचएआई पूर्व में निर्धारित ड्राइंग में भी आवश्यक बदलाव कर सकती है। अब तक प्रदेश में बनने वाले ज्यादातर फोरलेन का रोडमैप तैयार कर लिया गया है। बरसात के ताजा नुकसान के बाद अब इनमें बदलाव की संभावनाएं देखी जा रही हैं। (एचडीएम)