हिमाचल में दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने वाले 13 दवा उद्योगों पर राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने शिकंजा कसते हुए दवा उत्पादन पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने यह बड़ी कार्रवाई दवा उद्योगों में निर्धारित दवा निर्माण नियमों एवं मानकों की अनुपालना न होने पर की है।
बता दें कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) व राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण दवारा चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों में रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन किया जा रहा है।
इसी कड़ी में मई माह से अब तक सोलन, सिरमौर, ऊना व कांगड़ा जिला में करीब 42 दवा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया जा चुका है, जिनमें से 13 दवा उद्योगों में खामियां पकड़ में आने के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने तत्काल प्रभाव से सात उद्योगों में पूर्ण रूप से उत्पादन पर रोक लगाने के आदेश जारी किए और छह उद्योगों में आंशिक रूप से उत्पादन पर रोक लगाई।
उक्त उद्योग जैसे-जैसे खामियां दूर करते जाएंगे, उन्हें संयुक्त निरीक्षण के उपरांत उत्पादन शुरू करने की अनुमति दे दी जाएगी।
रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन के दौरान पकड़े गए 13 उद्योगों में नौ उद्योग बीबीएन क्षेत्र के हैं, जबकि दो सोलन, एक सिरमौर जिला व एक कांगड़ा जिला में स्थित है।
राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि राज्य और केंद्रीय विनियामक प्राधिकरणों द्वारा दवा इकाइयों में नियमित रूप से जोखिम आधारित निरीक्षण किए जा रहे हैं।
जिन दवा फर्मों का लगातार मासिक दवा अलर्ट में उल्लेख होता है, ऐसे दवा उद्योग विशेष रूप से निरीक्षण की जद में है। कमियों की गंभीरता के आधार पर उनके खिलाफ आंशिक या पूर्ण आधार पर उत्पादन बंद करने जैसी कार्रवाई की जाती है।
दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही किया जाएगा। प्राधिकरण इस मसले पर जीरों टोलरेंस की नीति के तहत कार्य कर रहा है। किसी भी दवा निर्माता को मानकों व नियमों को ताक पर रखकर दवा निर्माण का कोई अधिकार नहीं है।